बेड नंबर 74

मेरी माँ बच तो जायेंगी न, कहते हुए वह रोने लगा

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 27 Apr, 2021 | 1 min read
Human Mother Health

"बेड नंबर 74"

"ये मरीज कहाँ गयी?" मैंने सिस्टर (नर्स) से पूछा । मैं बेड नंबर 74 की पेशेंट के बारे में पूछ रहा था। पिछले शनिवार को मैंने उस पेशेंट को देखा था वार्ड स्टडी के दरम्यान।वार्ड स्टडी काफी कुछ सिखाती है  चाहे वो पढाई से सम्बंधित हो या व्यव्यहारिक ज्ञान से सम्बंधित हो।

शनिवार को जब मैं हॉस्पिटल वार्ड को जा रहा था तो एक आदमी ने मुझे टोका और रिपोर्ट दिखाने लगा।रिपोर्ट दिखा के आदमी रोने लगा और पूछने लगा "मेरी माँ बच जायेगी न?" मुझे कोई जबाब नहीं सूझ रहा था । मैंने उनका ढाढस बढाने के लिए हाँ कह दिया।

वार्ड पहुँचने पर हमें हिस्ट्री लेना था पेशेंट से । हमने स्टार्ट किया प्रोफेसर ने हमें बेड नंबर 70 से हिस्ट्री लेकर आने को कहा।हमलोग जब पेशेंट के पास गए तो वो खाना खा रहा था । 6-7 रोटियां तो उसने हमारे सामने खा डाली। पर,जब हमने उनसे भूख के बारे में सवाल किया तो उनकी पत्नी तपाक से बोल पड़ी "इनको तो भूख लगती ही नहीं" । इसी वक्त मेरी नजर मेरे सहपाठी पर पड़ी और हम हलके मुस्कुरा रहे थे।

थोड़ी देर में हमने देखा की एक बूढी महिला का पति उसे डांट रहा था। महिला एकदम चुप। दरअसल पति का कहना था कि वो संतरा न खाए लेकिन महिला ने संतरा का एक फाँक मूहँ में रख लिया था। बाक़ी का बचा सन्तरा अब भी उसकी हाथ में था। पति ने झटक कर संतरा फर्श पर गिरा दिया और पत्नी को भी गिरा दिया। पत्नी रोने लगी और वार्ड का वातावरण करुणा से भर गया। नर्स के समझाने से मामला ठंडा हुआ।पितृ सत्तात्मक समाज की एक छवि हमलोग देख रहे थे। 

हमलोग प्रोफेसर के चैम्बर में जाने ही वाले थे कि प्रोफेसर खुद ही वार्ड में आ गए और एक बृद्ध महिला की रिपोर्ट देखने लगे। एक जाना पहचाना चेहरा मौजूद था वो था उस व्यक्ति का जिसने हमे रास्ते में रिपोर्ट दिखाई थी ।प्रोफेसर ने रिपोर्ट देखी और दवा लिख दी।साथ में उसे हिदायत दी कि वो चाहे तो अपनी माँ को ले के और बड़े अस्पताल में ले जा सकते है । बेटा रोने लगा। ये था बेड नंबर74।

मैं सोमवार को वार्ड गया और जल्दी से बेड नंबर 74 के पास गया। बेड ख़ाली था । मैंने सिस्टर से पूछा उन्होंने कहा मरीज की हालत काफी खराब हो गयी थी तो रेफर कर दिया गया। आखिर क्या हुआ होगा , मैं सोच रहा था।

फिर कुछ दिनों बाद मैंने मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के ओ पी डी में मैंने वही परिचित चेहरे देखें। अब मैं ख़ुशी महसूस कर रहा था।



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  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Suspens se bhari kahani bahut badiya Aur aacha lagta iska kuch end ho jata

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