मद्धिम सी जलती चिंगारी
रोशन करती सोंच हमारी।
इंतेजार क्यों ? हाथ बढ़ाओ
मुट्ठी में करलो खुशियां सारी।
निराशा हावी न हो तुम पर
लक्ष्य रहे चाहे सबसे ऊपर
मन में लक्ष्यभेदी वाण बनाओ
तुम हो जाओ सब पर भारी।
जलो की जलजला आ जाये
बूझो की अँधेरा छा जाये
पा जाओ जल्दी से जो भी
मन की है चाह तुम्हारी ।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.