मन में वाण

निराशा को आशा में बदलने की जरूरत है

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 11 Nov, 2020 | 1 min read
Motivation

मद्धिम सी जलती चिंगारी

रोशन करती सोंच  हमारी।

इंतेजार क्यों ? हाथ बढ़ाओ

मुट्ठी में करलो खुशियां सारी।


निराशा हावी न हो तुम पर

लक्ष्य रहे चाहे सबसे  ऊपर

मन में लक्ष्यभेदी वाण बनाओ

तुम हो जाओ सब पर भारी।


जलो की जलजला आ जाये

बूझो की अँधेरा छा जाये

पा जाओ जल्दी से जो भी

मन की है चाह तुम्हारी ।।


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Dr. Pratik Prabhakar

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