सरेआम इश्क़

इश्क है कबूल सरेआम करता हूँ।

Originally published in hi
Reactions 1
561
Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 13 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems Firstlove Romantic

अपने दिन अपनी रातों को तेरे नाम करता हूं ।

हां इश्क है तुमसे यह कबूल सरेआम करता हूं ।।

मैं यहां तुम वहां अकेले भूले ना भुलाए दिलों के मेले 

क्या करूं बयां की मोहब्बत है सुबह शाम करता हूं ।।

तेरे आंखो का काजल हो जाता था घायल

रूठे हुए अपने मिलन को नित सलाम करता हूं ।।

वर्ष कमतर ही तो है प्रेम जीवन भर है 

यह शाम , सुबह क्या? जीना तेरे नाम करता हूं ।।

रूकती चलती सांसे मेरी बढ़ती मचलती बाहें तेरी 

हया का आलिंगन कर मुझे बदनाम करता हूं।। ...


1 likes

Published By

Dr. Pratik Prabhakar

Drpratikprabhakar

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    दिन पुलिंग है.इसलिए अपना दिन होगा शायद,सादर🙏बेहद खूबसूरत सृजन

  • Dr. Pratik Prabhakar · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया संदीप भाई

Please Login or Create a free account to comment.