ग्रीष्म है, बसंत है
आँखों पर धूल घना
वक़्त लगा है, लगेगा
रोम न एक दिन में बना।
डर अवश्यसंभावी है।
कौन है इससे बचा?
कुम्भकार घड़ा बनाता जब
हाथ हो मिट्टी से सना।।
पल पल को सलाम करो
कौन है इससे बड़ा??
मिलकियत मिली उसे
जो काम में हुआ फना
रूठी तकदीर हो तो हो
खोया भाग्य हो तो हो
विश्वास भरी नजरों से
अब तो लो मन को मना।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌
वाह
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