वक़्त लगेगा

रोम एक दिन में नहीं बना

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 14 Jun, 2021 | 1 min read
Moral Inspire Selfhelp

ग्रीष्म है,   बसंत है

आँखों पर धूल घना

वक़्त लगा है, लगेगा

रोम न एक दिन में बना।

डर अवश्यसंभावी है।

कौन है इससे   बचा?

कुम्भकार घड़ा बनाता जब

हाथ हो मिट्टी से सना।।

पल पल को सलाम करो

कौन है इससे बड़ा??

मिलकियत मिली उसे

जो काम में हुआ फना

रूठी तकदीर हो तो हो

खोया भाग्य हो तो हो

विश्वास भरी नजरों से

अब तो लो मन को मना।


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Dr. Pratik Prabhakar

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Comments

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  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👌

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह

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