*हेल्थ एवं मेडिकल टेस्ट्स*
मेडिकल टेस्ट कराने का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि शुरुआत में ही बीमारी का पता चलने पर डॉक्टरी सलाह के अनुसार उसका सही उपचार किया जा सके. कुछ टेस्ट ऐसे होते हैं, जो बीमार न होने पर, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ कराने ज़रूरी होते हैं, जैसे- पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी 40 साल के बाद प्रत्येक महिला व पुरुष को हर 2 साल में अपना पूरा मेडिकल चेकअप कराना चाहिए और 55 साल के बाद हर 1 साल में महिलाओं व पुरुषों को अपना मेडिकल टेस्ट ज़रूर कराना चाहिए.
आइये आज जानते हैं उम्र के हिसाब से कौन से टेस्ट्स रूटीन हेल्थ चेकअप के हिस्सा हैं:-
*20-30 साल:-
इस उम्र के युवा यदि पूरी तरह से स्वस्थ हैं, तो उन्हें कोई विशेष टेस्ट कराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन बीमार होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार सारे मेडिकल टेस्ट कराने ज़रूरी हैं.
महिलाओं के लिए कुछ अन्य टेस्ट
पीरियड्स के लिए: यदि 20 से 30 साल की उम्र में भी महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हैं, तो पीसीओडी टेस्ट कराएं.
प्रेग्नेंसी के समय: प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीने में ब्लड शुगर, थायरॉइड, यूरिन टेस्ट, थैलीसीमिया, हीमोग्लोबिन और एचआईवी टेस्ट करवाने पड़ते हैं.
*40 साल के बाद महिलाओं के लिए कुछ ज़रूरी टेस्ट
टेस्ट:
1)मेमोग्राफी.
क्यों ज़रूरी है: ब्रेस्ट संबंधी बीमारियों की जांच करने के लिए मेमोग्राफी कराई
जाती है, विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि के लिए.
ख़ास बात: इंडियन कैंसर सोसाइटी के अनुसार 40 साल के बाद महिलाओं को साल में 1 बार मेमोग्राफी ज़रूर करानी चाहिए. वैसे तो महिलाएं घर पर ख़ुद ही ङ्गसेल्फ बे्रस्ट एग्ज़ामिनफ कर सकती हैं. एग्ज़ामिनेशन के दौरान ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ महसूस होने पर तुरंत एक्सपर्ट को दिखाएं.
2)टेस्ट: पैप स्मीयर.
क्यों ज़रूरी है: सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए.
ख़ास बात: सर्वाइकल कैंसर का इंजेक्शन लगाने के बाद भी पैप स्मीयर टेस्ट कराना आवश्यक है, क्योंकि इसके बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका बनी रहती है. यह इंजेक्शन केवल प्रिवेंशन का काम करता है, उपचार का नहीं.
3)टेस्ट: पेल्विक अल्ट्रासाउंड.
क्यों ज़रूरी है: पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, पीरियड्स अनियमित होना, पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक दर्द व ब्लीडिंग होना और ओवरी कैंसर की जांच कराने के लिए पेल्विक अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता होती है.
ख़ास बात: ट्युमर और यूरिनरी ब्लैडर संबंधी बीमारियों की जांच कराने के लिए महिलाओं व पुरुषों को पेल्विक अल्ट्रासाउंड करवाने की ज़रूरत होती है.
*45 साल के बाद महिलाओं व पुरुषों के लिए ज़रूरी टेस्ट
1. टेस्ट: यूरिन इंफेक्शन.
क्यों ज़रूरी है: पेशाब में संक्रमण होने पर यह टेस्ट कराया जाता है. बार-बार और लंबे समय तक यूरिन में इंफेक्शन होने से भविष्य में किडनी संबंधी बीमारी हो सकती है.
ख़ास बात: उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं और पुरुषों में यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की समस्या बढ़ने लगती है. पूरी तरह से स्वस्थ होने पर भी हरेक महिला व पुरुष को हर 5 साल में यूरिन टेस्ट कराते रहना चाहिए.
2. टेस्ट: बीपी, ईसीजी, इको, ईकेजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) और टीएमटी.
क्यों ज़रूरी है: दिल से संबंधित बीमारियों का पता लगाने के लिए ये टेस्ट कराने ज़रूरी हैं।
ख़ास बात: 45 साल के बाद प्रत्येक पुरुष और महिला को इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम कराना चाहिए. इसके
अलावा बाकी के सारे मेडिकल टेस्ट भी हर 2-3 साल में कराते रहना चाहिए.
3. टेस्ट: बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी).
क्यों ज़रूरी है: ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी का कोई पुराना फ्रैक्चर, स्पाइनल डिफॉर्मिटी या ऑस्टियोपेनिया (बोन डेंसिटी का कम होना) से ग्रस्त महिलाओं व पुरुषों को यह टेस्ट कराने की ज़रूरत होती है.
ख़ास बात: ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या आमतौर पर महिलाओं में अधिक होती है. 45 साल के बाद महिलाओं को हर 5 साल में यह टेस्ट कराना चाहिए और मेनोपा़ॅज़ होने के हर 2 साल बाद बीएमडी टेस्ट कराना चाहिए
*पुरुषों के लिए
.
टेस्ट: प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन (पीएसए).
क्यों ज़रूरी है: प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि के लिए यह टेस्ट कराया जाता है.
ख़ास बात: यूरिन संबंधी समस्या होने पर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है. अमूमन पुरुषों में 65 साल के बाद प्रोस्टेट कैंसर की समस्या होती है, लेकिन डॉक्टरी सलाह के अनुसार पहले भी पीएसए टेस्ट करवा सकते हैं.
✍️ Pratik Prabhakar
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very informative article
Please Login or Create a free account to comment.