जहाँ तुम जाते

रुको चलता हूँ

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 25 Jan, 2022 | 1 min read
Motivation

मन का परिंदा

उड़ता ही जाए

रुके नहीं ,झुके नहीं

चाहूँ मैं ठहराव कोई

और वह चंचल मचलता

सीमाएं तोड़ता

उड़ता ही रहता है

सोचता हूं कि

रोक लूँ  

मन करता है भी तो

ग्लानि से ज्यादा डर

डूब ना जाऊं अपने भँवर में

आओ मन फूले मेरे संग

तो जागो मै ना भागूँ,

तुम भागो

पाने की चाह मर गई है

मैं चाहता पाना

नया आकाश नया विश्वास

बनाने हैं नए आयाम

वक्त तो लगेगा ही

चलेगा ही वक्त

मैं तो संभल जाऊं

रुको रुको

मैं भी चलता हूं

जहां तुम जाते....


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Dr. Pratik Prabhakar

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