एकबार विजयनगर साम्राज्य के राज दरबार में पहुँचे हुए साधु आये। साधु की ख्याति पूरे संसार में थी। ऐसा कोई प्रश्न न था जिसका उत्तर उनके पास न हो।
उनके आते ही राजा कृष्णदेव ने उन्हें सत्कार पूर्वक अपने सिंहासन पर बिठाया। साधु ने तुरंत ही तेनालीराम से मिलने की इच्छा जताई।
राजा ने तेनालीराम को बुलवा भेजा। उसदिन तेनाली दरबार नहीं आये थे चूकिं वो बीमार थे।
तेनाली जब दरबार मे आये तो उन्होंने अपना मुँह ढका हुआ था। और काफ़ी दूर खड़े होकर ही उन्होंने साधु को नमस्कार कहा।
जब राजा ने तेनाली को पास आने को कहा तो तेनाली बोल पड़े
"राजन मैं एक ऐसी बीमारी से ग्रसित हूँ जिसका इलाज़ राजवैद्य के पास भी नहीं है। उन्होंने ही मुझे अन्य लोगों से दूर रहने को कहा है।"
तब साधु में पूछा
" तेनाली आज तुम जिस बीमारी से ग्रसित हो उसके लक्षण क्या हैं?"
तेनाली ने फिर कहा
"सांस लेने में तकलीफ है और साथ ही तीव्र ज्वर है।"
साधु को भविष्य का ज्ञान था, उन्होंने तेनाली को भविष्य में जाकर अपना इलाज कराने को कहा।
राजा हैरान हुए उन्होने कहा
"कोई भविष्य में कैसे जा सकता?"
साधु बोले
" आप चिंता मत करिए महाराज मैं तो कई बार भविष्य की यात्रा की है, अब तेनाली वहां जाकर अपना इलाज करवाएं। "
साधु ने तेनाली को मंत्र बताए जिससे वो भविष्य में जाकर वापस आ सकते थे।
तेनाली ने मंत्र की सहायता से जब भविष्य में कदम रखा तो यह 2020 था। यहाँ लोगों ने अपने नाक और मुँह ढँक रखे थे। काफी पता करने के बाद वो चिकित्सक के पास पहुंच पाए।
चिकित्सक ने जांच लिखी, जिसमे वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए। चौदह दिनों के कवारेन्टीन के बाद वो स्वस्थ हुए। और फिर विजयनगर लौट आये।
राजा ने स्वागत किया और स्वास्थ्य के बारे में पूछा। तब तेनालीराम ने कहा
महाराज भविष्य में भी कई बीमारियां है और वहां की स्थिति कुछ अच्छी नहीं है। इसीलिए आवश्यकता है कि राजवैद्य और नए वैद्यों को दीक्षा दें जिससे आने वाले वक्त में लोग स्वस्थ हो सके और समय रहते उपचार किया जा सके।
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