सपने मेघ बने

सारे सपने मेघ बनकर बरस रहें है आँखों से

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 19 Apr, 2021 | 1 min read
Broken Dreams

सारे सपने मेघ बनकर

बरस रहे हैं आंखों से 

चिंगारी सी आग फूटती

निकल रही है सांसों से ||



इंतहा सब्र की हुई अब 

मौन नहीं रहा जाता 

गर्जन तर्जन होगी अब तो

जब पत्ते टूटे साखों से ||



हम कर सकते क्या?

ये उनको बतला देंगे 

लड़ने का है वक्त आया 

कुर्सी पर बैठे दासों से ।।




काफी सहा हमने अब 

फिक्र किसे हमारी है ??

कानून की देवी आंखें खोलो 

बचों इन बदमाशों से।।





तुम लेकर आतेथे रोगी 

जान तक लगा देते थे ।।

अब जब हम ने मुंह मोड़ा

कौन बचाए नाशो से ??



चिंता हमें नहीं अब ना 

परवाह तुम्हारी होगी ।।

हम जाग चुके मसाल लिए 

फिक्र नहीं तमाशो से।।

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Dr. Pratik Prabhakar

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