लिखूँगा कभी

लिखूँगा कभी खुद में तुमको

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 05 Dec, 2020 | 0 mins read

लिखूँगा कभी

कागज पर नहीं दिल पर

तेरे लवों की लाली

यौवन की हरियाली

मचले अरमान

तेरी पहचान

नयन नक्श

तेरा अक्श

मीठी यादें

मुलाकातें

तेरा कतराना

मुँह फेर लेना

काजल की धारी

फूलों की क्यारी

मादक मुस्कान

लूटता जान

लिखूँगा कभी

खुद में तुझ को।।


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Dr. Pratik Prabhakar

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