पता नहीं

भविष्य के लिए वर्तमान में उहापोह

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 21 Jul, 2021 | 0 mins read
Dreams Future Motivation

सारी परछाइयाँ तैर जाती हैं

आंखों के सामने

उद्विग्न मन से सोंचता में

जाता हूँ सिहर

आंखों ने क्या कुछ नही देखा

अब तक

और बाकी नही हिम्मत

देखने को

नीरा बुद्धि भटकता मैं

कहाँ मिलेगा पता नही

कौन मिलेगा पता नहीं

कब मिलेगा चैन

कब कटेगी रैन

पता नहीं

हर पल छोड़ जाते लोग

साथ

अब कब तक थामे

कोई हाथ

राहों में कितने रोड़े

कितने हमने राह मोड़े

कब पूरी होंगी ख्वाहिशें

पता नही।


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Dr. Pratik Prabhakar

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