1 (पहला कदम)
आज तक था अकेला ही
लगेगा दिलों का मेला भी
दिखा मुझे वह पहली बार
बताऊं दिल क्या झेला जी।।
हंसती खिलती मोरनी सी
हसरतें उससे जोड़नी थी
क्या कह दे इश्क है तुमसे
खत्म करें मन का झमेला ही।।
पहली नजर में ही प्यार हुआ
एक बार में ही कई बार हुआ
दिल में समुंदर सी लहर उठी
तोड़ा सीमाओं का रेला ही।
पर अब मैं कैसे बताऊं उसे ?
कैसे इश्क को जताऊं उसे
वह शर्माती इसलाती बलखाती
मिलना किस्मत का खेला ही।।
2 (दूसरा कदम)
झलक दिखा खो गया नजारा
था , जिस पर मैंने दिल हारा
कहां गई वह ढूंढता रहा मैं
उहापोह में कटा दिन सारा ।।
अब दिल की एक ही तमन्ना
भर दूं दिल का खाली पन्ना
मिल जाए किसी मोड़ पर वो
जो हो गया था मुझको प्यारा।।
सुबह ,दिन ,शाम भी ढ़ली
बहुत ढूंढा वह ना ही मिली
पूरे दिन बस वही याद आई
टूटने लगा था सब हमारा ।।
फिर अचानक दिखी मुझे
फोन पर रिक्वेस्ट भेजा उसे
अब बस इंतजार मित्रता का
अब बस दूं कि "मैं तुम्हारा"।।
3 (तीसरा कदम)
अब था बस इंतजार
मैं गया था दिल हार
वह मान ले दोस्ती ही
और बनजाए मेरा संसार ।।
हकीकत भी फसाना हुआ
हर सेकंड भी जमाना हुआ
हर मिनट निहारता फोन को
कब हो जाए दोस्ती स्वीकार।।
नोटिफिकेशन तो आ रहे थे
और वो मुझे ना भा रहे थे
मुझे तो बस यही था पाना
मित्रता हो जाए बस इस बार ।।
मैं इसी दिली उलझन में
एक मैसेज किया सृजन मै
भेजा हे (hey)लिखकर उसे
चाहता करना मैसेज हजार।।
4 (चौथा कदम)
दोस्तों! हुआ दोस्ती स्वीकार
ख़ुशी हुई मुझे आख़िरकार
अब क्या करूँ, क्या कहूँ?
सब कुछ था मेरे समझ से पार
उद्वेलित होता कभी सिहरता
कभी खोता, कभी मचलता
दिल धड़कता ,उमड़ता
कैसे कहें प्यार बेशुमार।।
तभी उधर से एक मैसेज आया
Hi(हाय)लिखा था मैंने था पाया
अब तो दिल थम सा गया था।
मुझे तो था, बस इसका इंतजार।।
मैंने भी तब दिल खोल दिया
क्योंकि ये इश्क़ था ही नया
मैसेज पर मैसेज आते गए
बनाना जो था उनको संसार।
उन्होंने अच्छा दोस्त बताया
हुई प्रफुल्ल हमारी काया।
मैंने उनसे पूछा क्या बनेगी
वो मुझ नैया की पतवार।।
Comments
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बहुत खूब
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