मुर्दे की चाह

एक मृत शरीर /कैडेवर की आकांक्षा जो व्यक्त की गई है मेडिकल छात्र को

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Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 09 Nov, 2020 | 1 min read
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प्रेम एवं ध्यान से मुझे सहेजो क्योंकि पूरी जिंदगी

मैंने इसकी प्रतीक्षा की है

मैं इतना गरीब था कि

ना जमींदोज किया गया

ना ही दाह कर्म

मेरे परीक्षण कक्ष में

पड़े रहने का एकमात्र कारण

तुम मुझे चिरोगे काटोगे

विभाजित करोगे

लेकिन तुम्हारा सीखना पूर्ण होगा

घबराओ नहीं न्यायालय की

दफाओं में फसोगें नहीं

मैं तुम्हारे साथ हूंगा

उज्जवल भविष्य को देखता

मैं शीतलक का ख्वाब

ठंडे पानी के लिए नहीं

देखता हूं अपने देह के भागों के

आवास के रूप में

छात्र मेरे चारों और अपने मित्रों के साथ

बैठते हैं कुछ काटते हैं

तो कुछ बातें करते हैं

भोजन परिवार और चलचित्र के बारे में

सोचो मैं कितना मनोरंजन करता हूं

विभाजन प्रक्रिया के उपरांत हवाले करते हैं अग्नि के

कंकाल तंत्र से अलग की जाती है

हड्डियों मुझे अजायबघर की शोभा

हेतु नियुक्त किया जाता है

हड्डियों के शक्ल में मैं होता हूं तुम्हारे झोले में

छात्रावास में

कभी-कभी तो तुम्हारे बिछावन पर

कितनी उन्नति पाता हूं

शायद नसीब होता जन्नत में

साथ नहीं छोड़ता

1 साल में पीछा करता हूं अगली कक्षाओं में

आयुर्विज्ञान में मुर्दे जिंदे को सिखाता है

है एक विनम्र निवेदन

समर्पित हो रोग ग्रस्त के प्रति पाओगे

धन सम्मान और

अक्षुण्ण खुशी


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