Dr. Pratik Prabhakar
Dr. Pratik Prabhakar 31 May, 2022
विजय गीत
आँखों के झिलमिल को मोती माणिक कौन बनाये पीड़ा से आतप न हो फिर भी मातमी स्वर कौन लगाये।। आँखे न रोती हों फिर भी दिल तो रो ही सकता है। अंदर जो कुछ मर रहा है उसे पुकारे कौन जगाये?? प्रथम आँखे बंद मन मौन बनकर गोता लगा रहा था अब जब दिल दरिया में डूबे तो उसे फिर कौन बचाये। निष्फल हो तो दोषी कौन यह सब कौन पता करे कोई तो अंदर से खा रहा उस भूखे को कौन मिटाये।। अरे अधम, अंदर बाहर तू ही ये न जान मूरख क्यों बनता अब भी वक्त दम्भ भर उठ चल संग विजय गीत गाया जाये।।

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by Drpratikprabhakar

31 May, 2022

विजय गीत

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