हम जब भी परेशान होते है अक्सर दूसरों से मदद की उम्मीद करते है। पर क्या उस समय कभी यह सोंचते है कि हमने उसकी मदद की थी ?? शायद नही..
जब हमसे कोई मदद के लिए हाथ बढ़ाता है या हमे उसके बारे में पता चलता है तब उसकी मदद करना हम विकल्प मानते है कि मदद करे या नही। अगर हमें किसी की मदद न करना हो तो उसके लिए हम ढ़ेर सारे बहाने भी बना लेते है। अगर हम सामने वाले कि मदद करने के काबिल है तो मदद का हाथ अवश्य बढ़ाये। किसी की मदद करना एक तरह से खुद की ही मदद करना है क्योंकि यह हमारे मन को, हमारी सोच को, हमारे नजरिये को सकारात्मक बनाता है। दूसरों की मदद और सेवा करने के बहुत से तरीके है। पर उसके लिए हमे यह जानना जरूरी है कि किस प्रकार और किसकी सहायता किस रूप में की जाए। अगर हम चाहते है कि जरूरत पड़ने पर हम अकेले न हो तो उसके लिए आपको स्वयं ही ऐसा वातावरण बनाना होगा अपने व्यवहार से, हमेशा मदद के लिए तत्पर अपने स्वभाव से।
किसी उदास इंसान के चेहरे पर मुस्कान लाना, टूट चुके इंसान को उम्मीद की किरण देना इससे अच्छी सेवा भावना और कोई नही हो सकती। अगर किसी के बारे में हम जानते है कि वह हमारी मदद कर सकता है पर कर नही रहा तो हम कतई बरदाश्त नही करेंगे। इसके लिए जरूरी है कि अगर हम दूसरों से कोई अपेक्षा रखते है तो पहले हम भी वैसा ही आचरण करें, मदद करने से हिचकिचाने की बजाय खुल कर हाथ बढ़ाये।
मेरे लेख पर अपने विचार अवश्य दे। धन्यवाद
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सुंदर प्रस्तुति👌🏻
Bahut achhe vichar.😊
@moumita ji @sonia ji बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut achhe vichar
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