एक खूबसूरत सुबह

पुरानी यारी जब सोशल मीडिया पर फिर जवान होती है ।

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anil makariya
anil makariya 30 Jun, 2020 | 1 min read

 मैं रोज सुबह खिड़की खोलकर बैठ जाया करता हूँ, इस इंतजार में की कब वह जानी-पहचानी हरी लाइट जलायेगी और हाय! या गुड़ मॉर्निंग का इशारा करेगी?

अब खिड़कियां भी तो मियां ग़ालिब के जमाने वाली रही नही है कि हमेशा खुली रहे और जब चाहे यार आकर अपने नजरे करम कनखियों से हमारी ओर कर दिया करें।

आज के दौर की खिड़कियों के एक तरफ हम और दूसरी तरफ दुनिया भर के हसीन नजारे होते हैं ।

न यार की कनखियों का कोई ठौर-ठिकाना हमारी तरफ होता है न हमपर नजरें करम गाहे-बगाहे होती है ।

वैसे अपना भी मन कहाँ केवल एक उसी खिड़की से बंधा होता है ।

जब तक वह खिड़की खुलती है तब तक तो हम दो-चार के दरवाजों में घुसपैठ कर चुके होते है ।

आहा!.. याद आता है वह जमाना जब शाम छह बजे दूध का बर्तन लिए वह अपने घर के बाहर आती थी ।

और हम उसके घर के बाहर छह बजने का इंतजार मुद्दतों से करते थे ।

अब मुद्दतों बाद मिली भी तो 6 इंच की एक दीवार पर जिसपर उसके पति के नाम की तख्ती पहले ही टंगी मिली उस फ़ोटो के साथ जिसमें उसके दो बच्चे भी नमूदार हो रहे थे ।

खैर हमनें भी कौनसा उसके लिए ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर रखा था । इस जमाने में वैसे भी ब्रह्मचर्य विलुप्तता की कगार पर है और गृहस्थ आश्रम को तो जैसे किसी कलमुंहे कि नजर लग चुकी है ।

इस बेपर्दा खिड़की से उसे देख लेता हूं और बात कर लेता हूं, तो लगता है मानो टाइम मशीन में बैठकर अपनी किशोरावस्था में गोता लगा आया हूँ।

आज तो मानो उसने न आने कसम खा रखी थी ।

"ए....जी सुनते हो ... आपका कोई दोस्त आपके लिए पूछ रहा है।"

हॉल से आती मेरी पत्नी की आवाज से मेरी तन्द्रा टूटी ।

"आता हूं" कहते हुए मैंने छह इंच की खिड़की बंद की और हॉल की ओर कदम बढ़ाए ।

आज तो जैसे एंड्रॉइड ने खुद को अपडेट करके स्क्रीन पर नया वॉलपेपर लगा दिया था और उसी जानी पहचानी हरी लाइट को हरी साड़ी में अवतरित कर थ्री डी इमेज में मेरे सामने लाकर खड़ा कर दिया था।

"गुड़ मॉर्निंग मिस्टर अमित ... उम्मीद है आपने मुझे पहचान लिया!" खनकती हंसी के साथ सुनने का यह अहसास कभी भी पढ़कर महसूस न हुआ था ।


#Anil_Makariya

Jalgaon (Maharashtra)

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anil makariya

Anil_Makariya

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sushma Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    😍 जी पहचान लिया.. कितनी खूबसूरत रचना है

  • Ankita Bhargava · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत खूबसूरत

  • Nidhi Gharti Bhandari · 4 years ago last edited 4 years ago

    एक और बढ़िया फ्लेवर की रचना। 👌

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