जन्नत

जन्नत सिर्फ़ एक छलावा है और कुछ नहीं। समझदारों का बनाया धोखा है ये।

Originally published in hi
Reactions 2
795
AM
AM 05 Jul, 2022 | 1 min read

ये काला कोट मेरे बदन पर चुभ रहा है । इस तपती दोपहरी में भी ये तेज़ चमकती धूप नहीं बल्कि ये कोट मेरी परेशानियों का सबब है। मैं जब इसे पहनती हूँ तो मेरा सारा का सारा वजूद इसमें ढक जाता है और मैं इसके बोझ तले दब जाती हूँ। मेरी साँसें उखड़ने लगती हैं मानो मैं अपने कुछ आख़िरी पल गिन रही हूँ।

******************************************

मैंने अपना कोट उतार दिया है साथ-ही-साथ वो व्यक्तित्व भी जिसे ढो पाना मेरे लिए हर वक़्त एक चुनौती होती है। अब मैं बेहतर महसूस कर रही हूँ।




स्वरचित एवं मौलिक

अदिति मिश्रा 'वर्तिका'

5/7/2022

2 likes

Published By

AM

AaMm

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.