समझ नहीं आता लोगों को परेशानी किससे होती है। उनसे जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करते या उनसे जो अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से पूरा करते हैं।मेरा अनुभव बहुत ख़राब है इस मामले में। जब मेरी कहीं ज़रूरत पड़ती है और मैं जाता हूँ तो जितने मुझे सहयोगी नहीं मिलते उतने विरोधी मिल जाते हैं।
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ज़िंदगी मुझे मेरे इन्हीं अनुभवों के कारण कभी-कभी एक सज़ा-सी लगती है। पर क्या करें? कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं। इसलिए जो सामने राह है उसी पे चलता चला जा रहा हूँ।
स्वरचित एवं मौलिक
अदिति मिश्रा 'वर्तिका'
6/7/2022
'जन्नत' आम लोगों की मुश्किल भरी ज़िंदगी के अनुभवों का एक छोटा-सा संग्रह है। आशा करती हूँ आप सब पाठकों को ये अच्छा लगेगा। कृपया इसे अपना भरपूर प्यार दीजियेगा।
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