होना है तुम्हें मेरा भाग-1

होना है तुम्हें मेरा.....

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AM 08 Aug, 2022 | 1 min read
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"सीरि! थोड़ा सा लेफ्ट! थोड़ा, थोड़ा,,,,बस,,बस!"

'क्लिक' फोटो खींचने की आवाज़ आयी और एक चालीस-इकतालीस वर्ष का व्यक्ति खुशी के मारे उछलते हुए एक तीस वर्षीय युवक के पास पहुंचा जो माॅडल प्रतीत हो रहा था और उसे अपने द्वारा खींची तस्वीरें दिखाने लगा और वो युवक बड़ी तन्मयता से देखने लगा।

"देखो तो! कितनी ऑसम फोटोज़ हैं! तुम्हारा लेफ्ट प्रोफाइल कितना फोटोजेनिक है। देखो तो सही!" वो व्यक्ति खुशी और उत्साह के मारे उस युवक से कहे जा रहा था और वो मुस्कुराकर उस व्यक्ति की बात सुने जा रहा था।

तभी एक लंबी, पतली, गोरी-सी युवती जो हल्के नीले रंग का पलाज़ो पैन्ट और सफेद रंग का ब्लाउज़ पहने हुए बहुत स्मार्ट लग रही थी, अंदर आते हुए कहती है "सीरि! वीकली फाइनेंशियल असेसमेंट के लिए मीटिंग बुलाई जा चुकी है। जल्दी चलो!" उसका इतना कहना होता है कि जो फोटोग्राफर होता है वो व्यक्ति घूर कर देखते हुए कहता है "बस! इसीलिए तुम मुझे अच्छी नहीं लगती श्वेता! जब मैं कभी सीरि की तस्वीरें खींच रहा होता हूँ तुम तभी कहीं ना कहीं से आ जाती हो रोड़े अटकाने।"

इसपर वो युवती मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति से कहती है "नहीं प्रवीन सर! वाक़ई ज़रूरी काम था इसीलिए मुझे फोटो सेशन के बीच में आना पड़ा। और सर! एक बात और आपको कहनी थी।"

इसपर वो व्यक्ति गर्दन उचकाते हुए पूछता है "क्या?"

"यही की लेफ्ट या राइट, सीरि की तो हर प्रोफाइल ही फोटोजेनिक होती है। "वो युवती बोल पड़ती है इसपर वो युवक मुस्कुरा देता है।

और वो व्यक्ति जिसे वो व्यक्ति चिढ़ते हुए कहता है "चुप करो श्वेता की बच्ची! सीरि की चमची।"

वो युवती इसपर उस युवक से कहती है " देख लो! प्रवीण सर मुझे, तुम्हारी सेक्रेटरी को चमची बोल रहे हैं। अगली बार से मैं इनको ढोलक बोलूंगी क्यूंकि इनकी सासूमाँ क्या ग़ज़ब इनका बाजा बजाती हैं। कसम से! मज़ा आ जाता है!" जैसे ही श्वेता नाम की वो युवती इतना कहती है वो युवक मुस्कराने लगता है। जब फोटोग्राफर प्रवीन जिनका पूरा नाम प्रवीन शर्मा था वो गुस्से से आगबबूला उसकी शिकायत उस युवक से करने के लिए मुड़ते हैं, वो उसे मुस्कराते हुए पाते हैं।

ये देखकर वो तुनकते हुए कहते हैं "श्रेष्ठ शर्मा! अपने लिए नया फोटोग्राफर ढूँढ़ लेना। आज से, बल्कि अभी से मैं आपके पर्सनल फोटोग्राफर के पोस्ट से रिज़ाइन दे रहा हूँ। मेरा रिज़ाइनिंग लेटर आपको शाम तक ईमेल कर दूँगा।" और इतना कहकर वो गुस्से में, पैर पटकते हुए चले जाते हैं।

"जीजू! जीजू! अरे सुनिए तो सही,,, माफ़ कर दीजिए।" वो युवक उस व्यक्ति के पीछे कान पकड़ कर भागता है, पर प्रवीन बहुत तेज़ कदमों से बाहर चले जाते हैं, जो उस युवक के जीजाजी होते हैं। फिर वो युवक मुँह लटकाए आता है और अपनी सेक्रेटरी श्वेता से कहता है "लगता है ज़्यादा नाराज़ हो गए। पर कोई नहीं आज शाम को मना लिया जायेगा।" और इतना कहकर दोनों शरारत से आपस में ताली मारते हैं।

दरअसल आज प्रवीन जी का जन्मदिन होता है और वो दोनों उनके जन्मदिन पर उन्हें सरप्राइज़ देना चाहते थे इसलिए दोनों उन्हें थोड़ा नाराज़ कर दिया ताकि सरप्राइज़ मिलने पर वो वाक़ई सरप्राइज़ड हों!

और ये युवक कौन है ये तो आप जानते ही होंगे! ये हैं श्रेष्ठ शर्मा, हमारी इस कहानी का नायक। ये दुनिया की टॉप टेक्नोलॉजी कंपनी के संस्थापक और मालिक हैं। इनकी कंपनी बहुराष्ट्रीय अर्थात्‌ मल्टीनैशनल है, और उसके तीन मुख्यालय हैं। पहला बेंगलुरु में, दूसरा नोएडा में और तीसरा सिलिकॉन वैली, सैन फ्रांसिस्को, नाॅर्दन कैलिफ़ोर्निया में। सो इस कारण से इनका इन तीनों जगहों पर आना-जाना लगा ही रहता है। फ़िलहाल तो ये बेंगलुरु में हैं जहाँ इनके बाबाजी, इनके मौसा-मौसी, दीदी-जीजा रहते हैं, और ख़ुद इनका भी घर है। इनके माता-पिता सेना में जनरल रैंक के अधिकारी हैं और ये उनकी अकेली संतान हैं। इनके माता-पिता इनके साथ शुरू से ही कम समय बिता पाते हैं, देश के प्रति कर्त्तव्यों के कारण। इनका पालन-पोषण इनके बाबाजी की देखरेख में इनके मौसा-मौसी ने बिल्कुल अपनी बेटी स्मिता, जैसे अपनी संतान मानकर किया। इसी कारण ये अपने बाबाजी और अपने मौसी-मौसाजी और मौसेरी बड़ी बहन स्मिता के ज़्यादा करीब हैं। इनके मौसाजी फिजिक्स के प्रोफेसर हैं आई आई एस बेंगलुरु में, और मौसी गृहणी हैं। मौसाजी इनको बहुत मानते हैं और उनकी देखरेख में ही दोनों भाई-बहनों की पढ़ाई-लिखाई हुई। इनकी बहन भी फिजिक्स की लेक्चरर हैं आई आई एस बेंगलुरु में। उन्होंने अपनी पी एच डी अपने पिता के अंडर में ही की था और श्रेष्ठ ने अपना बीटेक और एमटेक  आईआईटी बेंगलुरु से ही किया था। और इनके जीजाजी प्रवीन शर्मा एक वर्ल्ड क्लास फैशन फोटोग्राफर हैं।


फोटोग्राफर प्रवीन शर्मा सिर्फ़ श्रेष्ठ की मौसेरी बहन के पति ही नहीं बल्कि श्रेष्ठ के जीजाजी, बिग ब्रो, चड्ढी बड्डी, बेस्ट बड्डी, पार्टनर इन क्राइम, सीक्रेट कीपर, सबकुछ, आॅल इन वन, हैं। श्रेष्ठ उनका दिल से बहुत सम्मान करता है। पर चूंकि रिश्ता जीजे-साले का होता है सो खट्टी-मीठी नोंक-झोंक तो होती ही रहती है, और इस बात को दोनों में से कोई भी दिल पर नहीं लेता।

श्रेष्ठ के मज़ाक से परेशान हो न जाने कितनी बार प्रवीन उसके पर्सनल फोटोग्राफर की पोस्ट से रिज़ाइन देकर जाने की धमकी दे चुके हैं, पर गए कभी नहीं!

श्रेष्ठ ने भी कभी हँसी मज़ाक की मर्यादा नहीं लाँघी और वो दिल से उनका सम्मान करता है, ये बात उन्हें पता है। बस एक-दूसरे की हल्की-फुल्की टाँग खींचाई दोनों समय-समय पर करते रहते हैं। आख़िर रिश्ता ही ऐसा है!

श्वेता जिसका पूरा नाम है श्वेता जोशी, जो श्रेष्ठ की सेक्रेटरी है, वो श्रेष्ठ के साथ पिछले सात सालों से काम कर रही है, और श्रेष्ठ की बहुत अच्छी दोस्त भी है। श्रेष्ठ के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं जो उसे ना पता हो! या यूँ कहें वो अपने प्यारे दोस्त श्रेष्ठ के मामलों को लेकर इतनी सजग, सतर्क रहती है कि उसे श्रेष्ठ के बारे में सब कुछ पता है।

आख़िर श्रेष्ठ जैसे एडवांस और अपडेटेड ह्युमन वर्ज़न आॅफ इंटेलिजेंसी की सेक्रेटरी होना कोई आम बात थोड़े ही है!

दरअसल श्रेष्ठ दुनिया के टॉप बिजनेसमेन में से एक है। इसलिए उसे और उसके काम को मैनेज करने के लिए श्वेता हमेशा एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाए रखती है ताकि कभी श्रेष्ठ को किसी दिक्कत का सामना ना करना पड़े।

      "अरे बाप रे! पंद्रह मिनट निकल गए। सीरि जल्दी करो! मीटिंग में समय से पहुंचना है न।" श्वेता श्रेष्ठ से कहती है।

"हाँ! हाँ! चलो!" कहते हुए श्रेष्ठ श्वेता के साथ फोटो स्टूडियो से बाहर निकल आया और आपनी कार की बैकसीट पर बैठ गया और श्वेता ड्राइविंग सीट पर बैठी और फिर उसने कार स्टार्ट किया और दोनों ऑफिस की तरफ़ निकल पड़े जहाँ रिव्यू बोर्ड की मीटिंग बैठनी थी।



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उत्तरी ग्रामीण ब्लॉक, एस डी एम कार्यालय,

स्थान-कसया, कुशीनगर।



कार्यालय बहुत साफ़-सुथरा और सुंदर था। सब तरफ करीने से किनारे-किनारे फूल-पौधे लगे हुए थे और आठ कठा (वर्ग नापने की एक इकाई) में फैले कार्यालय में नीम, अशोक, अर्जुन, गुलमोहर और बोगनवीलिया के पेड़ लगे हुए थे।

कार्यालय में अंदर जाने पर एक लंबा गलियारा था जिसके दोनों तरफ़ स्टाफ रूम थे। इसी गलियारे में सीधे जाने पर एक बड़ा-सा कमरा था। यही कमरा एस डी एम का कक्ष(केबिन) था।

उस कमरे की सीलिंग से लटका पंखा चों-चों की आवाज़ करते हुए चल रहा था। कमरा बहुत शानो-शौकत वाला तो नहीं था पर बहुत सलीके से व्यवस्थित था। कमरे की दो दीवारों में बड़ी-बड़ी दो रैक लगीं थीं जिसमें बहुत सुव्यवस्थित ढंग से एक ओर फाइलें और दूसरी ओर किताबें रखी थीं।

कमरे के बीच में एक बड़ा-सा टेबल रखा था और उसपर एक नेम प्लेट रखी हुई थी जिस पर लिखा था:

धरा तिवारी, आइ ए एस, एस डी एम।

उस मेज पर बैठी अधिकारी की उम्र यही कोई उन्नतीस-तीस साल होगी। चश्मा लगाए वो बहुत तल्लीनता से अपने काम में मशगूल थी। वो कुछ फाइलें देख रहीं थीं।


तभी एक व्यक्ति तेज़ी से दौड़ता हुआ अंदर कार्यालय आया औरउनकी केबिन की तरफ़ भागा। उसकी हालत बहुत ख़राब थी। सब उसे ही देख रहे थे। उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे। वो दौड़ता हुआ अंदर आया और बिना पूछे ही घुस गया। वो बहुत हांफ रहा था। उसकी साँसें उखड़ रहीं थीं। वो अंदर आकर बोला "मैडम! रामपूरवा टोला(काल्पनिक गांव का नाम) के लोगों ने तो बवाल काट दिया है। परवेस सिंह के गुट ने बोल दिया है कि 'जौन जन ओ जमीन के नपाई करे अईहें उनकर हाथ-गोड़ तूर दीहल जाई, काहें कि ई हमनी के जमीन ह!' और उस विवादित जमीन की नपाई रुकवा दी है।"

वो व्यक्ति जब इतना कहता है तो धरा जो अपनी जगह पर बैठी, उस व्यक्ति की बात ध्यान से सुन रही थी, अपनी जगह से उठती है और टेबल पर रखे पानी के ग्लास को उस व्यक्ति की तरफ़ बढ़ा देती है।वो व्यक्ति एक साँस में पूरा पानी खत्म कर देता है। तब कहीं जाकर उसे राहत मिलती है। फिर वो सीधे खड़ा हो जाता है और धरा की ओर देखने लगता है।


धरा उस व्यक्ति को अब बात सुनने लायक स्तिथि में देख कहती है "लेखपाल साहब! ये तो गलत बात है कि प्रवेश सिंह और उनके लोगों ने सरकारी काम में व्यवधान डाला। अगर वो विवादित ज़मीन वाकई उनकी ही है, तो उन्हें इसकी नपाई पूरी करने देना चाहिए था, ऐसा कर उस ज़मीन पर वो अपने दावे को और पुख्ता कर लेते। पर ख़ैर छोड़िए! चोर मचाये शोर! आप बताइए। आपने क्यों नपाई रोक दी।"

      इसपर वो व्यक्ति जो लेखपाल था, बोल पड़ा "मैडम! आपको नहीं पता! ये लोग बहुत खतरनाक हैं। यहाँ तक की इन्होंने पिछले एस डी एम साहब तक को नहीं बक्सा। जब पिछली बार निचली अदालत के ऑर्डर के बाद उस ज़मीन की नपाई कराने ख़ुद पिछले वाले साहब गए थे न, तो उन गुंडों ने उन्हें भी पीट दिया था, इसीलिए किसी की भी इतनी हिम्मत ना हुई कि उनकी धमकी को अनदेखा कर नपाई चालू रखें, सो सब भाग गए। " उसके चेहरे पर ये सब कहते वक़्त डर साफ़ दिखाई दे रहा था।

ये सब सुन धरा ने बस इतना ही कहा कि " इसबार ज़मीन की नपाई का आदेश हाई कोर्ट से आया है। मैं इस आदेश का पालन करवा के रहूँगी।" फिर कुछ सोचते हुए बोली "लेखपाल साहब! आप सभी अधिकारियों और नपाई करने वालों को लेकर रामपूरवा टोला चलिए। नपाई का काम आज के आज पूरा होकर रहेगा। और आप सब की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मेरी होगी। मैं ख़ुद चलूँगी वहाँ। संबंधित थाने के एस एच ओ को भी सूचित कर दीजिए की तत्काल पूरे दल-बल के साथ उसी गाँव में पहुँच जायें। ये हमारा उन्हें आदेश है। हम बस अभी पाँच मिनट में आते हैं।" धरा ने जब इतना कहा तो उस व्यक्ति को कुछ राहत मिली। उसे पता था धरा इस विकट समस्या का भी कोई-न-कोई हल निकाल ही लेगी।

      अपनी डेढ़ साल की इस इलाके में पोस्टिंग के दौरान उसने विकट-से-विकट परेशानियों का बहुत सूझबूझ और समझदारी से हल निकाला था, इसीलिये उसपर उसके विभाग के ही नहीं बल्कि दूसरे विभागों के बड़े-बड़े अधिकारी से लेकर सामन्य कर्मचारी भी बहुत विश्वास करते थे। और जहाँ कहीं उनका मामला फंसता, वो उसके ही पास आते उस मामले के हल के लिए।

 

   धरा का शांत, विनम्र स्वाभाव सबको बहुत अच्छा लगता। पर वो काम के मामले में बहुत स्ट्रिक्ट थी, इसीलिए उसके कार्यालय में सिर्फ़ काम करने वाले लोग ही बैठ पाते थे, और बाकियों को वो बाहर का रास्ता दिखा देती।


  रामपूरवा टोला के ज़मीन विवाद का मामला उसके ब्लॉक के अंतर्गत ही आता था और इस मामले ने सबकी नाक में दम कर दिया था। ख़ुद धरा भी इस मामले की वज़ह से तंग आ गई थी। पर अब जब हाई कोर्ट का आदेश ही आ चुका था कि स्थानीय प्रशासन इस मामले को निष्पक्षता के साथ हल कर तीन महीने के अंदर अदालत को रिपोर्ट सौंपे, तो अब सारा मामला धरा के हाथ में आ चुका था।

और आज की घटना देख और पुराने बवाल को ध्यान में रखते हुए उसने फैसला कर लिया था.....आज वो इन सारे झमेलों को ख़त्म कर देगी।



धरा आख़िर क्या करने वाली थी....?




ये जानने के लिए पढ़ें इस कहानी का अगला भाग जो जल्दी ही आएगा।



कृपया अपनी समीक्षाओं के माध्यम से आप मुझे आवश्य ये बताएं कि आपको ये कहानी कैसी लगी!


जुड़े रहिए इस कहानी से,,,, दो बिल्कुल विपरीत व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों,,, धरा और श्रेष्ठ,,,, के ख़ूबसूरत,दिल को छू लेने वाले प्यार के सफ़र से रुबरू होने के लिए। ❤️❤️🍁🍁🌸🌸🌼🌼❄️❄️💛💛☘️☘️🌿🍀🌿🍀🌹🌹🌹🌹⚘️⚘️



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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kamlesh Vajpeyi · 2 years ago last edited 2 years ago

    सुन्दर लेखन

  • AM · 2 years ago last edited 2 years ago

    थैंक यू कमलेश सर🙏🙏

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