प्रस्तावना
वह शहर की सबसे ऊंची इमारतों में से एक थी जहां से वो खड़े होकर बाहर देख रही थी। आज का दिन कितना अच्छा है ,धूप भी निकली हुई है और आसमान भी साफ है। नीला आसमान और उस पर चमकती धूप इसे देखकर किसका मन प्रफुल्लित ना हो उठे! वह यही सोच रही थी तभी पीछे से एक दूसरी स्त्री जो तीस-बत्तीस साल कि होगी उससे कहती है "क्या देख रही हो कार्तिका?" वो पीछे मुड़ती है और मुस्कुराते हुए कहती है "आज का दिन कितना अच्छा है ना!"
वहीँ दूसरी तरफ एक नौजवान लड़का जो करीब अट्ठाइस-उन्नतीस का होगा अपनी फाइलें उठाये तेज़ कदमों से बढ़ता चला जा रहा था तभी पीछे से एक दूसरा लड़का उसे आवाज़ लगाकर पूछता है" विराट कहां ?" तो वो लड़का बिना पलटे ही जवाब देता है "प्रेजेंटेशन देने।" और आगे बढ़ जाता है।
तो दोस्तों यह है मेरी पहली पेशकश। मैं कोई अनुभवी लेखिका तो नहीं पर अपनी कल्पनाशीलता पर लगाम न लग पाने के कारण मैं भी कूद पड़ी लिखने के लिए। अगर कोई भूल से भूल हो जाये तो क्षमाप्रार्थी हूँ। कृपया मेरी रचनाओं को पढ़ें और जहाँ कोई कमी या गलती हो उस विषय मेें मुझे बतायें। आपके इस बहुमूल्य योगदान से मेरी रचनायें जी उठेंगी।
कृपया करके गलती से भी मेरी इस रचना की नकल करने का प्रयास ना करें क्यूंकि:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000, इसके अनुसार जारी किए गए संशोधन और नियम, सूचना प्रौद्योगिकी सहित (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 और (ii) कॉपीराइट अधिनियम, 1957, इसके अनुसार जारी किए गए इसके संबंधित संशोधन और नियम के अनुसार कॉपीराइट कानून द्वारा मान्यता प्राप्त बौद्धिक संपदा अधिकार का एक रूप है जो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 (समय-समय पर संशोधित) ("कॉपीराइट") के तहत परिभाषित मूल साहित्यिक, नाटकीय, संगीत और कलात्मक कार्यों, छायांकन फिल्मों और ध्वनि रिकॉर्डिंग पर लागू होता है।
और इन नियमों के अंतर्गत मेरी इस रचना के सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्षित हैं। इस लिए किसी भी प्रकार का कॉपी पेस्ट या खिलवाड़ मेरी रचना के साथ ना करें।
और साथ ही साथ मैं ये भी कहना चाहूँगी की कहानी लिखते समय आज भी और भविष्य में भी मैंने इस बात का पूरा ध्यान रखा है और रखूंगी की मेरी रचनाएँ मौलिक हों। इसलिए इस कहानी का किसी भी नाम, घटना ,स्थान,कहानी,किसी दूसरी रचना या व्यक्ति से समानता मात्र एक संयोग है और होगा।
इसलिए मेरा आप सभी पाठकगण से निवेदन है कृपया अपना बहुमूल्य समय देकर मेरी मौलिक रचनाएँ पढ़ें मेरा मार्गदर्शन करें और उत्साह बढायें। मैं सदैव आपकी आभारी रहूँगी।
Comments
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