डॉक्टर्स' डे बीत गया, बीते एक जुलाई को ही। सबने अपने-अपने तरीके से मनाया। जो डॉक्टर हैं उनका दिन काम करते हुए बीता। जो नहीं हैं उन्होंने दिन भर उन्हें बधाइयाँ दीं। सब ने पृथ्वी के देवदूतों के प्रति अपने-अपने तरीके से अपना आभार प्रकट किया। सब भावुक हुए जा रहे थे। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। भाई सही बात तो है! अगर डॉक्टर्स ना होते तो न जाने रोज़ कितनी जानें जो बचाई जाती हैं,वो चली जातीं। अखिर ये चिकित्सक ही तो हैं जिनके होने से हम सब चैन और सुकून से रह पाते हैं। पर ये सब देखकर मेरे मन में एक ख्याल आया "क्या डॉक्टर्स के विरुद्ध होने वाली हिंसक घटनायें अब रुक जाएँगी? "
खैर छोड़िए ये सब बातें! पर क्या आपको पता है एक जुलाई को सी ए डे भी पड़ता है। अरे वही चार्टड अकाउंटेंट्स' डे! सच बताइए क्या आपको याद था? मुझे तो पता भी नहीं था! अभी कल ही पता भी चला कि एक जुलाई को सी ए डे भी मनाया जाता है। हम भी हद हैं। मतलब इतना भेदभाव! सारे के सारे सी ए साहब लोग काफी नाराज़ चल रहे हैं। देखियेगा कहीँ आपका हिसाब-किताब न बिगड़ जाये! मज़ाक कर रही हूँ। आपको पता है जब मैं ग्यारहवीं में थी तो मैंने जान बूझकर विज्ञान वर्ग और उसमें भी जीव विज्ञान विषय चुना क्योंकि मुझे वाणिज्य, अरे वही कॉमर्स, उसका व भी नहीं आता। ये विषय मेरे कभी पल्ले ही नहीं पड़ा। ऊपर से मेरी मम्मी ने मुझे डरा दिया कि हमारे परिवार में जो कॉमर्स लेते हैं वो सफल करिअर नहीं बना पाते। सब कॉमर्स ना पढ़ने के बहाने! खैर अपनी-अपनी पसंद, अपना- अपना चुनाव। ऐसे ही वाणिज्य और सी ए साहब लोगों के साथ तमाम तरह के भेद भाव होते रहते हैं। पहले ही सी ए एग्ज़ाम को बदनाम कर दिया गया है कि यह बहुत ही ज़्यादा मतलब बहुत-बहुत ज़्यादा मुश्किल होता है। हाँ माना कि ये एग्ज़ाम भारत का सबसे मुश्किल एग्ज़ाम है, यू पी एस सी से भी ज़्यादा ! पर ऐसे किसी को बदनाम करते हैं क्या? कह देते की ये यू पी एस सी से भी मुश्किल है, आई आई टी- जे ई ई एडवांस से भी मुश्किल है, नीट की तो इसके आगे गिनती ही नहीं! बस इतना ही कह देते। इतनी लंबी-चौड़ी बातें कहने की क्या जरूरत थी भला। (एक ध्यान देने वाली बात: व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि कोई भी एग्जाम मुश्किल नहीं होता यदि मेहनत की जाए तो और कोई एग्जाम आसान नहीं होता अगर पढ़ा न जाये तो। और शायद सी ए एग्जाम यू पी एस सी से ज़्यादा मुश्किल नहीं होता। मुझे इसके विषय में पूरी जानकारी नहीं है। पर हाँ मेहनत बहुत लगती है। )
खैर ये तो है बिल्कुल हरि अनंत कथा जैसे। जितना कहो, जितना सुनो उतना कम। तो अब इन बातों को यहीं विराम देते हैं इस उम्मीद के साथ की कम-से-कम इस आलेख को पढ़ने वाले सभी पाठकगण उपरोक्त लिखी बातों का ध्यान रखेंगे और आगे से किसी भी चार्टड अकाउंटेंट साहब की भावनाओं को आहत नहीं करेंगे। और एक जुलाई को डॉक्टर्स' डे के साथ-साथ चार्टड अकाउंटेंट्स' डे भी मनाएंगे। कम-से-कम जान-पहचान वाले सी ए साहब लोगों को शुभ कामना ही दे दीजियेगा। आख़िर इतना तो बनता है उनके लिए जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती से सम्भाल रखा है।
और हाँ! मेरी मदद के लिए मुझे धन्यवाद कहने की कोई ज़रूरत नहीं।
दोस्तों मुझे ये बताते हुए अत्यंत खुशी एवं गौरव का आभास हो रहा है कि मैं इसी साल 13 जून को पेपरविफ्फ डाॅट काॅम नाम के इस क्रांतिकारी बदलाव वाले मंच से जुड़ी और मुझे बीते जून महीने के सर्वश्रेष्ठ लेखक श्रेणी में स्थान मिला। इस के लिए आप सब सुधी पाठकगण का खूब-खूब आभार। वास्तव में लेखक कितना भी प्रतिभावान हो परंतु यदि उसके पास माध्यम ना हो और सबसे बड़ी बात आप जैसे प्यारे पाठकगण ना हो तो उसकी सारी प्रतिभा और मेहनत धरी की धरी रह जायेगी इसलिए ये सम्मान मेरा नहीं अपितु आप सब पाठकों का है, पेपरविफ्फ का है।
एक बार फिर से इस सम्मान और प्यार के लिए आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद।
अदिति मिश्रा 'वर्तिका'
5/7/2022
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