ज़िंदगी का सफ़र

ज़िंदगी एक सफ़र सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना!

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AM 04 Jul, 2022 | 1 min read

अगर ज़िंदगी के बारे में ये कहें कि,

मुश्किल डगर है, लंबा सफ़र है ,

चुनौतियाँ इस कदर हैं

कि क्या ही कहें ....

.......तो ग़लत नहीं होगा। तो क्या करें? राहें बदल दें? बदल कर जायेंगें कहां.....यही ज़िंदगी है। तो क्या करें जब ज़िंदगी में आफ़तों के थपेड़े पड़ने लगें?

कि मुस्कराइए ये ज़िंदगी है,

यहां ना कुछ कम ना कुछ ज़्यादा है,

जितना दिया उतना मिलेगा, ये न कम और न आधा है।


स्वरचित एवं मौलिक

रचनाकार

अदिति मिश्रा 'वर्तिका'

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AM

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • vijay mishra · 2 years ago last edited 2 years ago

    अति सुंदर

  • AM · 2 years ago last edited 2 years ago

    Thank you Papa 🙏

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