मेरे छोटे से गाँव में मैं और मेरे संग कुछ सखा अक्सर घुमा फिरा करते हमे मोबाइल नाम की किसी चीज की कोई तालीम ना थी ये वो दौर था जब मेरे वही ४दोस्त हुआ करते थे और एक मैं.. ! घर वालों ने मुझे एक वक्त के बाद एक मोबाइल दिया कारण था की मैं उनसे दूर रह रहा था, मुझे मालूम हुआ के एक ऐसी दुनिया है इस मोबाइल में जिससे मैं हमेशा अज्ञात रहा मुझे मालूम हुआ के दोस्ती, मैत्री और प्रेम सामान्य है और अपने से दूर बैठे कई लोगो तक सरलता से पहुचाई जा सकती है जिसका माध्यम है ये डिजिटल दुनिया, यहाँ ये रिश्तें बड़े न्यारे होते है अब देख लीजिये मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति से आपका (paperwiff) का ये अनमोल रिश्ता..! हमने केवल सुना था के लेखक, वैज्ञानिक ऐसे होते है, वैसे होते है परंतु यहाँ वो भ्रांतियां भी बिखर जाती है जो जन सामान्य में है। एकता और बंधुता को बनाये रखने में इस डिजिटल दुनिया का बहुत जादा सहयोग है इस मानव सभ्यता को। हाँ ये मुद्दा अलग है के कुछ खामियां भी रही हैं परंतु मैं समझता हूँ की रिश्तों में खामियां तो होती ही है और ये डिजिटल दुनिया वो रिश्ता ही तो दे रहा है। मेरे जीवन में बड़े ही यादगार क्षण इस डिजिटल दुनिया और इसके
सहायता से बने मेरे उन रिश्तों के साथ बीते हैं , इसने मुझे एक मंच दिया जिसके लिए मैं इसका शुक्रगुज़ार हूँ। खैर मेरी यात्रा अभी इन रिश्तों और इस डिजिटल दुनिया के साथ बहुत लंबी भी नहीं है किंतु मानवीय बोधिकता ऐसे विशाल रिश्तों की मांग करता है, जो इस डिजिटल दुनिया ने पूरी की है..! इस दुनिया और इस दुनिया के मेरे सभी मित्रों को विशेष प्रेम है। दुनिया बदलती देखी है हमने, एक नई रीत चलती देखी है हमने।
आदि ✍️
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