बन जा तू भी एक परिंदा
चल उठकर आसमान पार कर,
खुली आँखो से देख तू सपने
चल एक लंबी उड़ान भर !
बोलेंगे लोग उड़ानपर तेरी
तू अनसुना कर , उनकी आदत गंदी हैं !
तू देख ना सपने अपने लिए
आख़िर इनपर थोड़ी पाबंदी हैं !
जो सीमा हैं तेरी उड़ान की
तू उससे उपर उड़ने की सोच ,
जहां मोका मिले खुदके लिए
तू झट से ले उसे दबोच !
क्यूकी यार , सपने तेरे उड़ान तेरी
नाम तेरा होगा पहचान तेरी ,
लेकिन हा , ख़ुदपर हौसला करने से कभी मत डरना
किसी ने सोचा नहीं होगा ,
तुम इतनी लंबी उड़ान भरना !
- यश सैनी
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahot khubsurat poetry 💜
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