"अगली किताब की तैयारी कर दो"

A story about the vegetable seller and his creativity....climax given by me and the start of the story was given on a live session of paperwiff which I missed...

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Vridhi Chug
Vridhi Chug 01 Nov, 2020 | 1 min read
Story Writer story Vegetable seller story

अपनी बालकनी से उस सब्जी वाले को रोज़ देख के एक दिन उसे कुछ लिखते हुए देखा। 

हम उसके पास गए और पूछा ये तुम क्या कर रहे हो?

तब उसने जवाब दिया के हम कभी कभार थोड़ा कुछ लिख देते हैं।

तो हमने उसे बोला दिखाना क्या लिखा है आपने,

तब वो झिझगते हुए अपनी किताब जिसमे वो लिखता था वो दी और हमने उसे पढ़ा।

और उसे बोला वाह भाई आप तो बहुत अच्छा लिखते हैं।

वो खुश हुआ और बोला धन्यवाद।

पर कुछ दिन बाद...

जब आज अपनी बालकनी में रुके हुए थे, जब उस सब्जी वाले को ना देखा तो एक ख्याल मन में आया कि ना जाने उसके साथ क्या हुआ है, ना जाने वह क्यों नहीं आया है।

फिर नीचे जा के सिक्योरिटी गार्ड से भी पूछ आये के वो क्यों नहीं आया है?

पर उसने भी कोई मन को संतुष्ट करने वाला जवाब नही दिया।

फिर कुछ देर में पता चला कि उसका कुछ दिन पहले किसी कार से दुर्घटना हुई है।

जब उसकी दुर्घटना हुई तब एक जो नेक बंदा जो उसे हॉस्पिटल ले गया था उसने उसकी किताब पढ़ी थी।

और उसने उसको बोला भाई आप इतना अच्छा लिखते हैं फिर ये सब्जी क्यों बेचते हैं।

तभी सब्जी वाले ने जवाब दिया अपना और अपने घरवालों का पेट पालने के लिए।

फिर वो सब्जी वाला ठीक हो कके जब घर जाता है,

तब अपनी पत्नी से हर बात बताता है।

तब उसकी पत्नी उसे बोलती है कि फिर आप किसीसे बात क्यों नहीं करते।

सब्जी वाला बोलता है पगली इस छोटे शहर में ऐसे सपने नहीं देखा करते,

पत्नी बोलती है ठीक है हम कहीं बड़े शहर में चलके बस जाते हैं।

सब्जी वाला उसे बोलता है इतना आसान नहीं होता।

वो बोलती है हम एडजस्ट कर लेंगे।

तब वो सोच समझ के किसी बड़े शहर चले जाते हैं और वहां जाते ही अपनी पत्नी को सब्जियों का कारोबार सीखा कर खुद पब्लिकेशन हाउसेस के चक्कर काटता है।

एक जगह से ठुकरा दिया जाता है।

दूसरी जगह से ठुकरा दिया जाता है।

एक आखरी पब्लिकेशन हाउस से ट्राय कर के जब वो बहार निकलता रहता है तब बड़ा मायूस रहता है।

तब एक आदमी उसे देख के पूछता है क्या हुआ क्यों मायूस हो? 

तब वह बोलता है कि बिना पढ़े ही मुझे ठुकरा रहे हैं, मेरे काम को ठुकरा रहे हैं।

 फिर वह अंदर जाकर पब्लिकेशन हाउस के ओनर को बोलता है कि " एक बार पढ़ लिए होते" ।

वो ठीक है बोलकर उसे वापस बुला कर उसकी किताब मांग लेता है।

काफी दिनों तक उसे इग्नोर कर पढता नहीं है।

फिर एक दिन ऐसे ही वक़्त बिताने के लिए पढता है तो उसकी आँख से आंसू आते हैं कि इतनी अच्छी कवितायेँ और कहानियां मैंने कैसे नहीं पढ़ी।

उस बिचारे को दो-तीन बार वापस भी भेज दिया।

तभी उसकी किताब छपवा देता है और सब्जी वाले को बुलवाकर बोलता है भाई

"अगली किताब की तैयारी करदो"

नयी कहिनियां और कविताएं सोचलो और लिखना शुरू करदो।


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Vridhi Chug

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