वो लम्हें
आज भी याद हैं
जब उठते ही माँ की झप्पी
पापा का प्यार
मिलता था।
भाई की हिफाज़त और
बहन की देख रेख
मिलती थी।
जब पाठशाला में
दोस्तों की मस्ती
मध्यांतर में डब्बे
और घर जाते वक़्त साइकिल की दौड़
आज भी याद है
वो नाखून काटना भूल गए हो तो
अपनी वर्ग के अधिनायक को पटाना।
जब स्कूल टाई या बेल्ट भूल गए हो तो स्कूल ग्राउंड के चक्कर काटना।
आज भी याद है
वो होमवर्क ना करने पर
टीचर से पिटना।
या स्कूल में जल्दी पहुंचके अपना
होमवर्क किसी और से कॉपी करना।
आज भी याद है
वो इंटरवल से पहले ही क्लास के वक़्त
अपने डब्बे को चुपके से खोल के देखना
या उसमे से थोड़ा कुछ खा लेना।
आज भी याद है
वो टीचर के पीछे उनकी नकल करना
उनकी खिल्ली उड़ाना।
आज भी याद है
गुरुवार के दिन रंग-बिरंगे कपडे पेहेन के जाना
सज धज के दुसरो से अपनी कंपरिसन्न करना।
आज भी याद है
वो इंटरवल में माउथ फ्रेशनर खरीदना और
अगली कक्षा में उसे प्राध्यापक से छुपा के खा लेना।
आज भी याद है
आखरी पीरियड में बेल्ल की आवाज़ का इंतज़ार करना
और उसके बजते ही thank you teacher, bye bye teacher बोल के टीचर से पहले ही क्लास से भागना।
आज भी याद है
वो प.इ पीरियड में एक ही रिंग के लिए झगड़ना।
या फिर अपनी मर्ज़ी से गेम्स खेलना।
आज भी याद है
घर जाते वक़्त साइकिल की दौड़ लगाना
और रास्ते में आगे वाले के बैग को ज़ोर से मारना और उसे डराना।
आज भी याद है
किसी बहारवाले को देख कर डर जाना
या कोई अजनबी बात करे तो घबराके
ग्रुप बना के साथ में जाना।
आज भी याद हैं वो लम्हें।
वो यादें।
जिन्हें हम चाह कर भी वापस ला नही सकते
और भूल के भी हम भुला नही सकते।
वो बचपन की यादें
वो पाठशाला की बातें
आज भी ताज़गी दे जाती हैं मन को।
वो लम्हें और वो यादें।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
जी , आज भी याद है। बहुत खूब।
Thank you Sonia ji
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