मेरे दर्द की कहानी को मन में बसा के ज़िन्दगी में आगे बढ़ रही हूं।
अपने हर सवाल के जवाब में उस खुदा का दरवाज़ा खट-खटा रही हूं।
हर छोटी खुशी को पीछे छोड़ असली खुशी की बूंद को दरिए में बदलता देखना चाहती हूं...
बस अब इंतज़ार नहीं होता तो ये बात अपने दिल से कह रही हूं।
और ये दिल कमबख्त कुछ अपने पास ना रख कर आंखों के ज़रिए हर बात आंसू बन कर बहा रही हूं।
ना जाने कब ये दर्द की दवा मेरे मन को हल्का कर उस खुशी को दिखाएगी?
और मेरी सोई हुई किस्मत को जगा देगी।
उस दिन बस मै सब छोड़ उस दरिए में डूब जाना चाहूंगी।
उस दिन बस मै सब छोड़ उस दरिए में डूब जाना चाहूंगी।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बढ़िया 👌
Thank you Charu ji
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