मम्मी, आपने इतनी पुरानी जामुनी रंग की साड़ी क्यूं संभाल कर रख रखी है, इसकी तो फाल भी नहीं लगी हुई है...रिया ने अपनी मम्मी की अलमारी में देखते हुए पूछा..
बेटा यह साड़ी कोई सिम्पल साड़ी नहीं है... यह तो मेरे बाबाजी आखिरी निशानी है, उन्होंने ये साड़ी मेरी शादी के लिए अपने हाथो से तैयार की थी लेकिन पूरी ज़री और फाल लगाने से पहले, ही वो हमे छोड़ कर चले गए। उनका मन था कि ये साड़ी मैं अपनी शादी में पहनूँ लेकिन तब यह अधूरी थी इस कारण किसी ने भी यह साड़ी नही पहनने दी।
"अनमोल है यह साड़ी" मेरे लिए... माँ ने रिया से कहा
लेकिन अब रिया मेरी आखिरी ख्वाइश है... जब मै मर जाऊ तब ये साड़ी मुझे पहना देना ताकि उस दिन मैं दुल्हन बन अपने बाबा की इच्छा को पूरा कर सकूं इतना बोलते ही रिया की माँ रोने लगी।u
सच है दोस्तों, हमारे परिवार जन हमे छोड़ कर भगवान के पास चले जाते है, उनकी यादें रह जाती है। जो हमे सिर्फ उनकी याद दिलाती रहती है...
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