सुखिया एक गरीब औरत है जो अपने पति और 6 मास के बच्चे के साथ एक झोपड़ी में रहती है। इस बार की बारिश से सुखिया को बहुत आशा है कि इस बार तो फसल अच्छी हो जाएगी और उसके लिए यह बारिश खुशियों की सौगात लेकर आये और उनके भी अच्छे दिन आ जाएं। लेकिन होगा वही जो भगवान को मंजूर होगा। कुछ दिनों तक लगातार होती बारिश ने भीषण बाढ़ का रूप ले लिया। बाढ़ ने सुखिया के गाँव को तबाह कर दिया है। इस बाढ़ ने उसके पति की जान ली और घर को भी बाह ले गया.. अब सुखिया के पास जीने का एकमात्र सहारा उसका बेटा है। भगवान को भी शायद यही मंजूर था यही सोच वह आज अपना सब कुछ गवां कर अपने बेटे को सीने से लगाकर, अपने बचे कुचे कपड़ो की पोटली को सिर पर रखकर एक नई राह चल पड़ी है। लेकिन मन मे अभी भी एक विश्वास है कि जिसने हम दोनों को बचाया, हमें नया जीवन दिया वो अद्श्य सहारा हमारे साथ आज भी है... और आगे भी हमारे साथ रहेगा।
दोस्तों भगवान जो भी करता है सब अच्छा ही करता है लेकिन उसका पता हमे उस समय नही आगे चलकर पता चलता है क्या आप भी मेरी इस बात को स्वीकार करते हो या आपके इस बारे में अलग विचार है? Plz जरूर बताना
विनीता धीमान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.