अपने हाथ से बने मटकों को देखती हुई केतकी सोच रही है...कि बनाने वाले ने भी क्या खूब चीज़ बनाई है मिट्टी। हम सब इंसान भी तो इसी मिट्टी के बने है जब तक जान है तब तक लोग हमें पूछते है और जब मर जाओ तब जला भी देते है। वही मिट्टी का बना शरीर मिट्टी में मिल जाता है तभी उसके 6 साल के बेटे ने उसे पुकारा माँ ओ माँ देखो.... मैने मिट्टी से कितनी सुंदर देवी की मूर्ति बनाई है। केतकी ने देखा और कहा सच मे बहुत सुंदर बनाई हैं। लेकिन तुमने इसके हाथ इतने सारे हाथ क्यो बना दिये?
माँ तुम भी तो एक समय मे कितने काम एक साथ करती हो खाना, कपडे, सफाई और एक हाथ से तुम इन मटकों को भी बनाती हो इसके लिए मिट्टी को घोलना, मलना, मटके बनाना, आग में पकाना और फिर इन पर सुंदर फूल बनाना जब तुम इतने काम कर सकती हो तो ये मेरी देवी की मूर्ति भी एक साथ इतने काम करेगी और तुम्हारा साथ देगी। छोटे से शिवंम के मुँह से ऐसी बात सुनकर केतकी बोली बेटा यदि सब लोग काम को मिलजुलकर करें तो कोई काम कठिन नही होता.... बस सबको मिलकर काम करना चाहिए
सही कहा माँ, आज से मैं आपके हर काम मे आपकी मदद करूंगा.... शिवंम ने अपनी माँ के गले लगकर कहा।
विनीता धीमान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.