जब मैंने बी.एड कॉलेज में एडमिशन लिया। मेरे सभी सहपाठी अपना अपना परिचय एक दूसरे से कर रहे थे मंच पर जाकर सबको अपना नाम बोलना था। तभी कुछ लड़के बोले नाम मे क्या रखा है... हमे तो किसी के नाम से कोई लेना देना नही है। फिर भी सब आ रहे थे। फिर मेरी बारी आयी और मैंने अपना पूरा नाम विनीता धीमान बोला तो सबने तालियां बजानी शुरू कर दी। क्योकि मैं ही वही लड़की थी... जिसने यूनिवर्सिटी टॉप किया था और इस कॉलेज में भी नंबर वन रैंक थी। अब तो वो लड़के इधर उधर देख रहे थे और चुप थे। शायद अब जान गए कि हमारी सच्ची पहचान हमारे नाम से ही होती है। इसके साथ यदि आपके कर्म भी अच्छे हो तो आपको पहचान जरूर मिलती है।
मेरा तो यही मानना है क्या आप सब भी इस बात को मानते है कि व्यक्ति को अपने कर्म को सदैव सक्रिय, सकारात्मक रखना चाहिए जिससे आपका नाम आपके जाने के बाद भी यह दुनिया याद रखे??
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