लड़की हो, कम बोला करो

कैसे आज भी हमारे समाज में आगे बोलती लड़की को कोई सहन नही करता...उसे सिर्फ चुप रहने को ही कहा जाता है।

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 13 Jul, 2020 | 0 mins read
Empowerment Equality Women Gossips Reality Relationship Bonding

मीना,अपने दो बच्चों और पति के साथ मुंबई में रहती है| आज मेरे सास ससुर आने वाले हैं, उनके साथ मेरे दोनों जेठ भी अपने परिवार सहित आ रहे है| घर में बहुत खुशी का माहौल है| मेरा बेटा शिवा और बेटी मीनल का 18वा जन्मदिन है। घर में मेरे सभी रिश्तेदार आये हैं। आज मैंने अपने बच्चों की खुशहाली, लंबी उम्र की कामना के लिए मंदिर में पूजा, हवन रखवाया है। हम सब तैयारी करके पहुंच गए मन्दिर। मंदिर में ही सभी रिश्तेदार और मेहमान आ गए।

मेरे बच्चों ने भी कुछ दोस्तों को बुला लिया था, तभी मेरे बेटे शिवा की एक फ्रेंड भी आई है| उसका नाम निधि है, बहुत प्यारी सी है| वह हमारे घर आयी हुई है| हवन और पूजा के बाद बच्चों ने थोड़ा डांस करने का सोचा तो सब मिलकर नाचने लगे| तभी शिवा निधि का हाथ पड़ककर नाचने लगा| सब देख रहे थे। फिर मैंने सबको नाच गाने से रोककर खाने के लिए बुला लिया| सब प्रोगाम बहुत अच्छे से सम्पन्न हो गया, हम सब बहुत खुश थे सब मंदिर से वापिस घर आ गए।

मेरे दोनों बच्चे अपने कमरे में चले गए और बाकी मेरे सास ससुर और दोनों जेठ जेठानियाँ वही ड्राइंगरूम में बैठकर बातें करने लगे। बातों ही बातों में वो निधि की बात करने लगे कि आजकल की लड़कियों को कोई तमीज़ नहीं है, खुलेआम लड़कों के साथ नाचती हैं, पता नही कैसे परिवार वाले इन्हें इतनी छूट दे देते हैं!

एक हमारी बेटी है मीनल, कितनी अच्छी और सुशील है। मीना ने बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को, तभी मीनल भी आ जाती है। उसने सबकी बात सुन ली थी, वो बोली "आप सब गलत सोच रहे हो| निधि तो बहुत अच्छी लड़की है, उसके परिवार वालों ने निधि को पूरी छूट दे रखी है, वो निधि पर विश्वास करते हैं| वैसे निधि मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती है, हमेशा अच्छे नंबरों से पास होती है, कॉलेज की हर एक्टिविटी में भी हिस्सा लेती है|" तभी मीना की सास उसे रोकते हुए बोली "मीनल तुम कुछ ज्यादा तरफदारी नहीं कर रही हो निधि की?"

हमारे ये बाल धूप में सफ़ेद नहीं हुए हैं, हमने दुनिया देखी है| हम तो लड़की की चाल को देखकर ही समझ जाते हैं कि लड़की का चाल चलन कैसा है, उसका व्यवहार कैसा है, तुम चुप ही रहो।" घर के बाकी लोग भी मीनल को चुप करा रहे थे| सब निधि को ही गलत ठहरा रहे थे, तभी मीनल ने अपनी मां की ओर देखते हुए कहा "मम्मी आप चुप क्यो हो? आप सबको बताते क्यो नहीं की आप भी निधि को पसंद करते हो| आप भी यही चाहते हो कि निधि हमारे घर आ जाए भैया की पत्नी बनकर?"

"क्या कह रही हो तुम? वो लड़की हमारे घर की बहू?" मीना के ससुर गुस्से में बोले "मीनल तुम लडक़ी हो, कम बोला करो! अगले घर जाना है तुम्हे| ऐसे रिश्ते तय करना घर की औरतों का काम नहीं है| ये बड़े बुजुर्गों की देखरेख में किये जाते हैं। चुपचाप अपने कमरे में जाओ। हम सब मिलकर ही फैसला लेंगे कि शिवा की शादी कब और किससे करनी है। तुम दोनो माँ बेटी ने कैसे ये फैसला कर लिया हमसे बिना पूछे? तभी मीनल बिना कुछ बोले वहां से चली जाती है| मीना वही मुँह नीचा किये बिना कुछ जवाब दिए बैठी रहती है। यदि कुछ भी कहेगी तो उसकी बात को कोई भी स्वीकार नही करेगा।

दोस्तों, यह आज भी हमारे समाज में देखने को मिलता है कि लड़कियों और बहुओं को कुछ भी बोलने, करने की आज़ादी नहीं है। सैकड़ों पाबंदी लगाई जाती हैं और जो परिवार अपने घर की बेटियों को खुली छूट देते हैं, उनके परिवार और उन लड़कियों को हमारा समाज स्वीकार नहीं करता। उन्हे गलत नज़र से देखा जाता है। उनके चरित्र पर उंगली उठाई जाती है। आज भी समाज को अपने इन विचारों में बदलाव की आवश्यकता है।

आपका क्या कहना है इस बारे में? अपने विचारों को भी प्रकट करें...यदि आपके आस पास भी ऐसी कोई घटना घटित हुई हो तो भी हमारे साथ जरूर शेयर करें।

आपकी दोस्त @विनीता धीमान


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