जब मैं रात को 2 बजे अपनी शिफ्ट खत्म करके आती हूँ तो इतना अँधेरा नही होता। चांद की रोशनी तो होती ही है। शायद अमावस्या की रात है.... तभी तो न चांद है और न ही गली ने बिजली। लगता है आज अँधेरे में ही अपने घर तक जाना होगा ऐसा मन मे सोचते हुए धीमे धीमे कदमो से चलती हुई रिया सोच रही थी।
तभी उसे पीछे से लड़को की आवाज़ आयी। अरे देखो "वो लड़की अकेली जा रही है, उसे पकड़ो" उनकी आवाज़ सुनकर रिया डर गई। अभी कुछ दिनों पहले ही इसी सड़क पर कुछ लड़कों ने मिलकर एक लड़की का बलात्कर किया और फिर उसे मार दिया था। अब तो रिया अपने घर की तरफ तेज कदमो से चलने लगी। पीछे से वो लड़के भी उसकी तरफ भागने लगे अब तो रिया के पसीने आने लगे। उसने अपनी सैंडिल उतार कर अपने हाथों में ली और भागने लगी तभी पीछे से उन लड़कों ने रीता को पकड़ लिया और जोर से बोले क्यो भाग रही हो तुम?डर के मारे रीता बोली। मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो। तभी उनमें से एक लड़का बोला कि आप डरो मत। हम तो आपकी मदद करने को आये है। जब से हमारी गली की उस लड़की का बलात्कार कर मार दिया तब से हम दोस्तों ने यह प्रतिज्ञा की है कि अब से हम रात को पहरा देंगे और रात के समय हर लड़की की मदद करेंगे क्योंकि हर लड़की किसी की बहन और बेटी है उसी तरह से उसकी रक्षा करना हमारा भी फ़र्ज़ है। अब तो रिया की जान में जान आ गयी। उसने उनको कहा कि आप सब तो मेरी मदद कर रहे थे लेकिन मैंने आपको गलत समझा। यदि सब लड़के भी आप तीनो की तरह यह बात समझ जाए कि राह में चलती हर लड़की उनकी बहन ही है तो महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार भी खत्म हो जाए। जब चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा था तो मैं सही ढ़ंग से नही देख सकी। आपने मेरी मदद की और मुझे आने वाले खतरे से बचा लिया। आप तीनो का शुक्रिया रिया ने कहा...
हमारे घर के लड़कों को भी यह शिक्षा दी जाए कि हर लड़की को इज़्ज़त करो, लड़की खेलने की कोई चीज़ नही है। लड़की की इज़्ज़त करना हर लड़के को सिखाना चाहिए... ताकि हमारे समाज से लड़कियों के साथ होने वाले बलात्कर, शोषण, हत्या को जड़ से खत्म किया जा सके। इसके साथ ही हमे अपनी लड़कियों को भी आत्मरक्षा के गुर सिखाने होंगे, उन्हें बचपन से अच्छे और बुरे टच को बताना होगा| इसकी शुरुआत हम सबको अपने घरों से ही करनी चाहिए।
विनीता धीमान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
हर बदलाव जरूरी हे जब तक एक माँ अपना फर्ज नहीईईईई निभाये गी तब तक उजाला हो ही नही सकता अंधेरा गली में नही दिलों में हे
बिल्कुल सही कहा मम्मी आपने... थैंक यू मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिए और अपनी बात कहने के लिए
Sahi baat hai
👏👏👏
Thank you sonnu ji
Thank you sonia ji
wahhh
Bahut accha likha
👍👍👍
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