धरा का सिंगार है पेड़
जीवन का आधार है पेड़
तुम क्या जानो रे इंसान
तुम कम न आंको इंसान
तुम्हारी पहचान है हम
धरा का गौरव है हम
रिश्ते बनाते है हम
तो निभाते भी है हम
नाम अलग है
गुण अलग है
कभी पीपल तो कभी नीम है
कभी बरगद तो कभी आम है
हमारी छाया में जीवन फलता
नया रूप भी हम से मिलता
हमें खोकर न जी सकोगे
हमें पाकर स्वर्ग बनोगे
अपनी पीढ़ी को दो ज्ञान
साथ चले हम मिलकर
तो धरा को स्वर्ग बनायेंगे।
आओ हम सब मिलकर ले प्रण
पर्यावरण को बचाएंगे
अपनी धरा को सजायँगे।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Lovely 😊
Thank you shah talib ji
Please Login or Create a free account to comment.