Lockdown में मोबाइल का साथ

Quarantine ले समय मोबाइल का बढ़ता प्रेम जगजाहिर है आप भी पढ़िये और बताये सही कहा ना मैंने...☺️☺️☺️

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 07 Apr, 2020 | 1 min read

इस lockdown ने हम सबकी दैनिक कार्यो को प्रभावित किया है। अब लोग सारा दिन सोशल साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत कर रहे है मेरी ऐसी ही कहानी है कि जब सास सारा समय मोबाइल पर रहे तो बहू क्या करती है

सुबह के 6 बजे मम्मी जी मोबाइल में देख रही हैं उन्हें पता भी नही चला कि कब रिया उठ कर आयी, चाय बनाई। जब उसने ट्रे रखी तब बोली अरे तुम उठ गई। मैं तो अपने ग्रुप्स में सबको मैसेज कर रही थी.... कोई बात नही सासूमाँ आप चाय ले।

फिर रिया रसोई की तरह चल पडी बर्तन साफ करने और दोपहर के खाना बनाने और उसकी सासूमाँ लगी अपने मोबाईल में गप्पें मारने। 

पता नही कितनी बात करेगी। रिया ने सब काम निपटा कर अपने कमरे में आकर बैठी और हाथ मे अखबार लिया था। तभी सासूमाँ बोली अरे रिया बहू कब से चाय का इंतजार कर रही हूं... तुम बनाओगी या मैं खुद ही बना लू अपने लिए???

नही मम्मी जी अभी चाय लेकर लायी। 

तब तक सासूमाँ अपनी बहन से ही बात कर रही है कब आये, कब गए, क्या लाये, क्या दे गए, और बहू ने कुछ कहा तो नही सब बातें फ़ोन पर ही हो रही है। यह एक समय मे नही दिन में 4, 5 बार होता है। सुबह उठने से लेकर रात तक सोने तक की सारी बाते जब तक एक दूसरे से ना करले तब तक मन नही भरता। पता नही "इतनी बाते कहाँ से आती है" कोई तो बताओ। रिया मन ही मन सोच रही है...

यदि एक दिन बात न हो पाए तो दोनों बहनो की दशा देखते ही बनती है, कि आज कुछ हुआ है। अगले दिन तो पूरे 2 घंटे फ़ोन को ही समर्पित हो जायेंगे। आजकल lockdown मे हमारे सभी घरों मे भी यही हालत है, सब मोबाइल से लगे हुए है। फ़ोन, मैसेज, चैटिंग, शेयरिंग, पिक्चर बस यही रह गया है। साथ बैठकर भी सब अलग अलग है... फिर भी सब व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े हुए है। हमारे मोबाइल जुड़े हुए है लेकिन हम नही। आज कल रिश्तों की परिभाषा ही बदल गयी है! अब किसी के पास समय नही है लेकिन मोबाइल से हमेशा online ही मिलेंगें। 

आप सबको भी यहीं हुआ होगा कि इस समय जिसे देखो चाहे बच्चों को देख लो या फिर बुजुर्गों को सब के हाथों में यह खिलौना दिख ही जाता है। पार्क में भी जाएंगे तब भी मोबाइल, tv देखते हुए भी मोबाइल, खाना खाते हुए मोबाइल। सही में यह मोबाइल न हुआ कोई जी का जंजाल हुआ। आपस मे बैठकर कोई बात नही करेगा लेकिन मोबाइल पर "इतनी बातों का भंडार कहा से आता है" कोई तो बताओ। लेकिन इस कोरोना से लड़ाई के समय मोबाइल हमारा सच्चा दोस्त बना हुआ है।

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