कल की आयी इस लड़की की इतनी मजाल, मुझसे जुबान लड़ाती है|
देख लेना इसके माँ बाप को बताना पड़ेगा, यही संस्कार दिए है उन्होंने.... कुछ नही सिखाया इस गवांर को| हमारे सर पर बैठ गयी है, जब देखो तब जुबान चलती है इसकी...
सुजाता जी अपनी बहू रिया को बोले जा रही है।
उनके पास बैठ ससुर भी बोल पड़े की यही सीख कर आई है अपने घर से, कैसे बडे बुजुर्गों की इज़्ज़त की जाती है जब से आई है तब से जीना हराम कर रखा है हमारा न तो चैन मिलता है ना ही सकूं...
बिल्कुल सही कह रहे हो आप पापा जी...
सब मेरी गलती है इतने सालो से आपकी बातों को सुनती रही... जब तक मैं चुप थी तब तक बहुत अच्छी थी, आप सब की हां में हां मिलाती रही, जी हुजूरी करती रही तब तक तो मैं बहुत संस्कारी थी।
आप मुझे बोलते रहो मैं गूंगे बहरे की तरह सुनती रहूँ। लेकिन जब से आपकी बातों का जवाब देना शुरू किया है, तब से आप लोगों की आंखों में खटक रही हूँ।
अब से मैं आपकी कोई बात नही सुनने वाली...पसंद आये तो ठीक, न पसंद आये तो बहुत अच्छा। रिया ने पुरजोर से अपनी बात कही आपका जो भी फैसला होगा मुझे मंजूर है।
आप चाहते हो मैं आपकी इज़्ज़त करूँ तो आपको भी कुछ सोचना चाहिए कि यदि मेरे माँ पिताजी आपके बारे में बोले, हर बात का ताना आपके बेटे को दे तो क्या आप लोग सुन सकते हो। कुछ ऐसा ही मेरे साथ आप भी तो मेरी बात का ताना मेरे माँ पिता को देते हो तो यह सब मैं कैसे बर्दाश्त करूँ।
आज से और अब से जी हुजूरी बन्द... बहुत सहन कर लिया, अब नही होगा। इतना कहकर रिया वहाँ से चली जाती है।
दोस्तो आप ही बताओ क्या यह सही है कि यदि कोई चुप है, आपको जवाब नही दे रहा है। तो सामने वाला कुछ भी बोलता रहें कब तक सर झुकाकर सुनते रहेंगे। किसी जानवर को भी आप दस बार मारोगे तो वो एक बार तो आपको जरूर मारेगा। माना बुजुर्गों की बातें हमारे लिए बहुत उपयोगी है लेकिन ये कहा कि इंसाफ़ है कि बहू के घर वाले तो बदतमीज, गवांर कहे जाते है और लड़केवाले संस्कारी, पढ़ेलिखे समझे जाते है।
आपके घर की बहू का चुप रहना उसका संस्कार ही है वरना कल की आई को अलग होने में कितनी देर लगती है... सही कहा है राड से बाड़ भली है।
बभलीभली।
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