यादों की पिटारी

जब तक किसी की मजबूरी का पता न हो तब तक उसके बारे में किसी प्रकार की कोई धारणा नही बनानी चाहिए....जब सच्चाई का पता चलता है तब सिर्फ पछतावा होता है।

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 01 May, 2020 | 1 min read

अब समीर अपनी दादी और पिता से नाराज नही था अब तो वह अपनी माँ की असलियत जान चुका था । आज उसे अपनी माँ पर गर्व था कि उन्होंने समीर की खातिर यह सब जो किया था। 

समीर के जन्म लेने के बाद उसकी माँ ने उसे छोड दिया और किसी को नही पता की वो अब कहाँ थी।  आज तक उसने अपनी माँ को नही देखा था...उसकी दादी हमेशा उसकी माँ को कोसती रहती। उनके मुँह पर उसकी माँ के लिए हमेशा गालियाँ ही होती थी। समीर ने इस राज को जानने की बहुत कोशिश की थी कि क्या कारण थे कि उसकी माँ उसे बचपन में ही छोड़ कर चली गयी और हमेशा उसे अपने सवालों का जवाब नही मिलता। उसके पिता ने भी कभी उसकी बातों का जवाब नही दिया।

लेकिन आज समीर का अठारहवां जन्मदिन है और उसे उसके पिता ने एक गिफ्ट दिया जब समीर ने उसे खोला तो उसमें उसकी माँ के लिखे पीले खत थे। जिसमें लिखा था कि अब तुम बड़े हो गए हो, तुमने अच्छे बुरे सबकी पहचान हो गयी है। आज मैं तुम्हे अपनी सच्चाई बता रही हूं काश तुम मेरी बात को समझ सकों और मुझे माफ़ कर सको।

मैं कमला जब 14 साल की थी तब मेरे बाप ने मुझे कुछ पैसों की खातिर बेच दिया और मैं बन गयी शन्नो बाई.... मुझे  रोज कितने ही लोग मिलते थे लेकिन सब को सिर्फ मेरा तन चाहिए था किसी को भी मेरी हँसी खुशी गम से  कोई मतलंब नही था फिर एक दिन तुम्हारे पापा भी आये जो मुझे पसंद करने लगे जिनके साथ मुझे भी खुशी मिली जो मेरे तन से नही मन को प्यार करते थे लेकिन सब हमारे मन के अनुसार नही होता फिर वही हुआ। हम दोनो के बीच वही समाज आ गया जिसने मुझे बाज़ारू बना कर अपनी जात धर्म की ऊंची ऊंची दीवारों  के पीछे तुम्हारे पिता को कैद कर लिया इसी बीच तुम्हारा जन्म हुआ और मुझे तुम को छोड़कर अपनी उसी दुनिया मे फिर जाना पड़ा। लेकिन समीर बेटा मेरी जान तो सदैव तुममें में बसी थी कि कैसे मैंने अपने बेटे को उसके पिता के पास छोड़ दिया था। इन सबमे किसी की कोई गलती नही है। आज भी हमारा समाज बाते तो बड़ी बड़ी करता है लेकिन जब वही बात अपने पर बीतती है तो वही पुरानी दकियानूसी सोच को सही मान लेता है। बेटा तुम अपनी दादी को भी गलत मत समझो वो तो चाहती थी कि मैं उनकी बहू बनू लेकिन समाज के सामने उनकी एक न चली और नतीजा तुम्हारे सामने है। बेटा आज मेरे इन पीले खतों ने यादों की पिटारी खोल दी है जिसमे तुम हमेशा मेरे साथ थे और रहोगे। मैं कहीं भी रहूं तुम्हारी माँ को सिर्फ तुम्हारी ही चिंता होगी। आज के बाद तुम अपने पिता और दादी से कोई सवाल नही करोगे।

तुम्हारी माँ कमला।

अपनी माँ के इन पीले खतों को पढ़कर समीर की आँखों मे आँसू थे और मन मे अपने परिवार के लिये प्यार ....

दोस्तों आपको मेरी काल्पनिक कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं 

धन्यवाद

आपकी दोस्त

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Vineeta Dhiman

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