फेसबुक,ट्विटर,इंस्टा से, दुनिया कितनी बदल गयी।
लेकिन एक माँ की जिंदगी, घड़ी की सुईयों पर चलती। अपने कर्तव्यों को निभाती, बच्चों के इर्द गिर्द घूमती।
ये चलती फिरती मशीन, बोलो कब बदलेगी।
माँ बनकर जाना मैंने, क्या है तुम्हारी अहमियत।
जब तक तुम्हारे साथ रही, मैं तुम्हारी परछाई बनकर।
तुमने लाड़ प्यार दिया, तुमने फटकारा भी।
एक दोस्त बनकर मेरी, राह के कांटो को चुना।
हर जगह तुम मेरे साथ थी, मेरी हमसफ़र बनकर।
समाज की खातिर अपनी बेटी को पराया कर दिया।
माँ आँखों से दूर किया, दिल से मत जुदा करना।
तुम मेरी आत्मा हो, तुम्ही मेरा भगवान हो।
माँ अपनी खुशबू से, बगिया महकाती रहना।
तुम हो तो मेरा वजूद है, मेरी पहचान है।
तुम्हारे बिन जिंदगी रंगहीन है, निराधार है।
माँ हो तुम मेरी सतरंगी इंद्रधनुष सी।
तुम्हारे लिए एक दिन नही, मेरी उम्र ही कम है।
तुम तो मेरा गूगल हो, सब सवालों का जवाब हो।
जब जब मायके आऊं, तब तब तुम मिलना।
अपनी 'विनीता' को ऐसे ही प्यार देती रहना।
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