मेरी बहू नए जमाने की है।

अपनी बहू के लिए जब सास ने आवाज़ उठाई

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Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 24 Jan, 2020 | 0 mins read

परिवार में मुखिया होता है जिसके छत्रछाया में परिवार हमेशा पलता है। हमारे समाज मे कई घरों में औरतें भी मुखिया की भूमिका निभाती है।

आज मैं आपको ऐसी ही एक औरत की बात बता रही हूं जो हमेशा से अपने लिए लड़ी और आगे अपने परिवार की बहू को बेटी जैसा सम्मान दिलाया।

सुप्रिया जी अपने समय की बहुत दबंग औरत थी और आज भी किसी की क्या मजाल है... जो उनके आगे बोल दे। उनके सयुंक्त परिवार मे उनकी ही चलती थी। 50 लोगों के परिवार में बड़े ही क्या छोटे बच्चे भी उनकी किसी बात को टाल नही सकते थे। सब उनकी बात तो मानते थे और उनका सम्मान भी करते थे।

उन्होंने मात्र 20 साल की छोटी उम्र में ही अपने ससुराल की बागडोर संभाल ली थी। छोटी उम्र में शादी हो गयी, शादी के बाद सबसे बड़ी बहू बन गयी सासू जी की दिमागी हालत ठीक न होने के कारण उनके ससुर ने घर की चाबियाँ इन्हें सौंप दी सुप्रिया जी ने भी बड़ी ईमानदारी से अपने सभी कर्तव्यों को निभाया। देवरों, ननदों की शादियां समाज के सभी रीति रिवाजों को निभाया और बड़े प्यार से सभी के दिलों में अपनी जगह भी बनाई।

कभी किसी को बोलने का कोई मौका नही दिया। उन्होने शुरू से ही अपने परिवार की बेटियों और बहुओं में कोई अंतर नही रखा। सबको एक समान सम्मान दिया। समाज मे सुप्रिया जी का अच्छाखासा रुतबा है, उनके रुतबे के आगे सब नतमस्तक हो जाते है।

जब उनके पोते का विवाह हुआ बात तब की है। स्टेज पर सभी दुल्हन के आने का इंतजार कर रहे थे। दुल्हन आयी तो मौजूद सब लोगों ने बाते करनी शुरू कर दी। आजकल लड़कियों ने अपनी सब लाज शर्म छोड़ दी है। इस नई नवेली बहू को ही देख लो सबके सामने घूँघट भी नही किया, कितने शर्म की बात है।

अपनी बहू के बारे में सुनकर सुप्रिया जी ने स्टेज पर आकर सबको सुनाया तुम सब क्या बात कह रहे हो लड़कियों ने लाज शर्म छोड़ दी है??? लड़किया तो आज भी वही है। समाज के लोग उन्हें उनके कपड़ो से, उनके चाल चलन से पहचान करते है वो मत करो तुम उनके संस्कारों को देखो, बाहरी रंग को छोड़ दो।

मेरी पोतबहू स्टेज पर सर झुकाकर आयी है, इसका मतलब वो तुम सबको सम्मान दे रही है। रही बात घूँघट की तो मेरी बहू नए जमाने की है। वो अब घूँघट नही करेगी, वो मेरी बेटी है। जैसे मेरे घर की बेटी रहती है वैसे ही वो भी रहेगी।

सुप्रिया जी की बात को सुनकर सब शांत हो गए और सबने यह स्वीकार कर लिया कि अब जमाने को बदलना होगा, शर्म आंखों में होनी चाहिए।

यदि आप भी ऐसी किसी औरत को जानते है जो अपने परिवार के लिए सबके सामना करने को तैयार हो जाए तो जरूर बताये।

आपको मेरा ब्लॉग कैसा लगा, अपने विचार कंमेंट बॉक्स में लिखें।

आपकी दोस्त@विनीता धीमान

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