मेरी दौड़

जब कोई लाचार, अपाहिज अपने हौसले को पहचान ले फिर क्या होता है

Originally published in hi
Reactions 0
1902
Vineeta Dhiman
Vineeta Dhiman 19 Feb, 2020 | 0 mins read

माना, बच्चा हूँ अभी

फिर भी समझता हूं सभी

न चल सकूंगा न हिल सकूंगा

अपना भाग्य खुद लिखूँगा

अपना सहारा खुद बनूँगा

एक दिन दुनिया को दिखला दूंगा

न आस है ना विश्वास

मुझे बनाया रब ने खास

अब लिखूंगा मैं इतिहास

देख लेना, तुम भी मेरी दौड़ को

आगे मुझे और पीछे ज़माने को

0 likes

Published By

Vineeta Dhiman

vineetazd145

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.