मम्मी, कल मुझे सलमा के घर जाना है। कल ईद है ना.... तो हम फ्रेंड्स ने decide किया है। हम सब मिलकर कल सलमा के घर जाकर उसे ईद की मुबारकबाद देंगे।
उसकी मम्मी ईद के दिन बहुत yummy सेवईयां बनाती है। जो सलमा हमे हर साल खिलाती है.. तो इस बार हमने सोचा कि इस बार हम सब उसके घर जायेंगे सीता ने अपनी मम्मी से कहा
तुम्हारी अक्ल तो सही है? तुम क्या कह रही हो? सलमा तो मुस्लिम है? और यदि तुम्हारे पिता को पता लग गया कि तुम मुसलमान के घर गयी और उनके घर का खाना खाया तो तुम्हारे पिताजी तुमहारे साथ साथ मुझे भी गुस्सा करेंगे। तुम कहीं नही जाओगी। अपने घर मे रहो उसे बोल देना की मेरी मम्मी की तबियत खराब हैं तो मैं तुम्हारे घर नही आ सकती।
माँ आप भी कैसी बात कर रहे हो? सलमा मेरी बचपन की दोस्त है। मैंने तो कितनी बार उसके घर का बना खाना खाया है। माँ जब हिन्दू मुस्लिम भारत की बाजु है जैसे इंसान अपनी एक बाजू के बिना रह तो सकता है, लेकिन पूर्ण नही है। उसी तरह से हिन्दू और मुस्लिम भी एक ही पिता की संतान है लेकिन कुछ लोगों ने दोनों के बीच धर्म की दीवारों को खड़ा कर उन्हें अलग कर दिया है। यदि हम भारत के सभी नागरिक यह सोच ले कि
हिन्दू मुस्लिम मत कहो,
मानो तो सब इंसान है।
एक माटी से बने हुए
दो शरीर एक जान है।
न रंग अलग न रूप अलग
फिर क्यो हम अनजान है।
जब दीवाली वो मनाए
ईद मेरी भी तो है।
अब हम मिलकर
एक सूत्र बंधेंगे।
हम भाई भाई
एक माँ की संतान है।
सही कहा सीता बेटी ... तुमने तो मेरी आंखे खोल दी। अब तुम सब बच्चों के कारण ही ये हिन्दू मुस्लिम के आपसी लड़ाई खत्म हो सकेगी और फिर से भारत मे ईद का वही चांद दिखाई देगा जो सिर्फ प्यार की शीतल चांदनी सबको सराबोर कर देगा।
कल मैं भी तुम्हारे साथ सलमा के घर चलूँगी उसकी मम्मी को ईद की मुबारकबाद देने के लिए सीता की मम्मी ने कहा।
सच मे यदि हम सब हिंदू मुस्लिम भेदभाव को भुलाकर सिर्फ भारतीय बन जाए तो कितना अच्छा हो जाए...
आप सबका क्या कहना है इस बारे में???
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