Vidhisha Rai
Vidhisha Rai 15 Mar, 2024
लक्ष्य
गँवाया बहुत वक़्त संशय में, उठो,आगे बढ़ो,अपना लक्ष्य तय करो तुम। जग की है रीत हर पल वो बदलता है, अस्थिरता में स्थिरता के साथ अटल रहो तुम। भविष्य अनगढ़ इक प्रस्तर अट्टालिका-सा, मेहनत की छेनी-हथौड़ा से सुंदर मूरत गढ़ों तुम। यूं ही व्यर्थ यहाँ-वहाँ भटक और न वक़्त गवाओ, अनमोल जीवन को सार्थक अर्थ दे जाओ तुम। बस अब स्वयं को निर्माण पथ पर अग्रसर रखना, विजयगाथा के गौरवमयी गीत लिखना तुम।

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by vidhisharai

15 Mar, 2024

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