,"चलिए जजमान बेटी का कन्यादान करने के लिए तैयार हो जाइये,
",नहीं मैं कन्यादान नहीं करूंगा, "
,"अरे!!ऐसा भी भला कोई कहता है, "
,"कन्या का दान नहीं कर रहा हूं मैं किसी के जीवन संगिनी बना रहा हूं और यही चाहूंगा कि दोनों एक साथ आत्मसम्मान से भरकर इस पथ पर अग्रसर हो ना कि वर पक्ष यह समझे कि कन्या का अपने परिवार से कोई मोह नहीं रहेगा| और कन्या का दान हो चुका है तो वह हमारी जागीर है |
रिश्ते प्यार से निभाए जाते हैं जब तक प्यार बना रहे और आत्मसम्मान को ठेस ना पहुंचे तब तक निभाना चाहिए | मोहरा अगर कभी कुछ गलत हुआ तो वह सहना नहीं है और तुम्हारे लिए हमारे घर के दरवाजे हमेशा खुले हैं यह कहकर राजेश जी ने बिटिया का हाथ जीवन सफर को तय करने के लिए दामाद के हाथों में दिया हां उन्होंने कन्यादान नहीं किया
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