काया पलट

डूबते को तिनके का सहारा होता है इसी तरीके से एक मन का भाव आप को जीत दिला सकता है

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 26 Sep, 2020 | 1 min read

इक्का दुक्का रोशनी आती है औघढ़ की झोली से काटो तो जिसे खून नहीं ऐसा अक्सर हो जाती हूं कृपा पात्र कब तक बनूँगी, अब कांटे से कांटा निका लूँगी

 अवसाद और निराशा का मै चोला  बदलूँगी

 सबकी दृष्टि दया दृष्टि  चाहना बंद करूंगी

 हृदय का शूल न बनकर अब मै

हृदय सम्राज्ञी बनऊंगी, अब अपनी काया पलट करूंगी 

मुंह में दांत नहीं है फिर भी मन की प्यास बड़ी है डोलती नैया थी  तब मेरे घट में राम बसे हैं

 आंखें बंद होने से पहले मुझको आंखों में घर करना है बस अपना कायापलट करना है

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