लोगों के लिबास के प्रति मानसिकता दर्शाती हुई मेरी एक छोटी सी लघुकथा| लिबास को लेकर हमेशा औरतों को ताने सुनने पड़ते हैं| लेकिन लिबास बदलते ही लोगों की मानसिकता किस प्रकार बदल जाती है आप सब पढ़िए और बताइए आपको कैसी लगी????
आज बहुत देर हो गई| दिसंबर की सर्द रात्रि हैं| अभी-अभी क्रिसमस खत्म हुआ है |ऑफिस में लेट हो गया है और अंधेरा भी घिर आया है |रास्ते में उसे कुछ शराबी लड़के बैठे मिले और उस पर फब्तियां कसने लगे |रोजीउनसे जाकर छुप गई एक मकान के पीछे लेकिन वह कब तक छिपी रहती ?????वह लोग तो वहीं बैठे हुए थे |फिर वह खड़े होकर इधर-उधर ढूंढने लगे तभी रोजी को एक ड्रम के पास सांता क्लॉस के कपड़े रखे दिखाई दिए| जो कि शायद किसी ने क्रिसमस सेलिब्रेशन के बाद रखे हुए थे रोजी ने धीरे-धीरे से उसको खींचा और कपड़े पहन लिए आज सच में साता उसके लिए भगवान बन गए थे| उसका दिल थर थर कांप रहा था| तभी उसे लगा लड़के उसके पास आ रहे हैं|वे बोले हमें भी कुछ गिफ्ट दे दो झोली वाले बाबा !!!!हमारा गिफ्ट तो यही घूम रहा था |कहां चला गया???इधर-उधर लड़की को ढूंढने लगे |क्योंकि वह लड़की के लिबास मे ढूंढ रहे थे |और सांता को देखते ही उनकी मानसिकता बदल गई |सांता की तरह अपनी पोटली कंधे पर रखकर रोजी तेज तेज कदमों से कांपते हुए उनसे दूर निकल गई |आज साता के लिबास ने उन्हें बाल-बाल बचा लिया| क्या कोई सांता आएगा???जो लड़कियों की रक्षा कर सकें और इस समाज में वह खुलकर जी सके क्या उनके लिए इज्जत से जीने का कोई गिफ्ट होगा...........
अब समय है! !!!!कि हम शपथ ले किसी को भी कोई भी मुश्किल में लड़की दिखाई पड़े तो उसकी मदद जरूर करें| बिना यह सोचे कि हमारा इससे कोई वास्ता नहीं| क्योंकि हम जब किसी की मदद करेंगे तो कोई ना कोई हमारी मदद जरूर करेगा| अगर आपने कभी किसी की मदद की है |तो कमेंट में जरूर बताइए ताकि और लोग भी प्रभावित होकर आगे आ सके...
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