संयुक्त परिवार है, सुनीता उसकी देवरानी विनीता, सासू मां ससुर पतिदेव सब साथ में रहते हैं| एक बेटा और बेटी भी हैं, देवरानी जॉब भी करती है|
सुनीता अपनी देवरानी से कहती है, "सुना है बुआ जी के बेटे की शादी तय हो गई है?"
"हां सुना तो है भाभी जी, कल ही मम्मी बात कर रहे थे| अब तो हमें भी जाना होगा भात की रस्म के लिए"|
"अरे यार, बुआ जी के यहां जाना मतलब आफत ही है| पता नहीं किस बात पर नाराज हो जाएं, बहुओं की तो जैसे दुश्मन बनी बैठी हैं| जरा सी गलती हुई नहीं कि डांट पड़वा देती हैं| सारा दिन काम में लगे रहो, वह अलग| मैं तो कोई ना कोई बहाना लगा दूंगी ना जाने का, तुम देख लो|"
"हां मम्मी जी बोल रहे थे किसी ना किसी को तो जाना पड़ेगा| मुझे तो उनकी ज्यादा आदतें पता भी नहीं| आप चलो भाभी, मुझे कुछ तो मदद मिलेगी?"
"ना बाबा ना, मैं नहीं जाने वाली| तुमने देखा था जब यहां आई थी?"
"हां देखा तो था, चलो अब जैसा मम्मी जी कहेंगे, वैसे करना पड़ेगा|"
विमला बुआ जी के बेटे की शादी थी बहु जाने को तैयार नहीं हो रही लेकिन सासु मां ने कहा है तो जाना तो पड़ेगा| यही सोच बड़ी बहू ने तो कह दिया कि मेरे बेटे के एग्जाम है| मैं तो नहीं जा पाऊंगी| तो अब छोटी बहू को लेकर वो शादी में चली गई| जब छोटी बहू शादी में गई तो वहां से फोन पर खूब स्टेटस लगाती खूब मजे करते हुए देखते तो सुनीता सोचने लगी कि पहले तो कभी इन रस्मों में मजा नहीं आता था| इस बार तो बुआ जी बदल रही है|
सब शादी से वापस आ गए| शादी बहुत अच्छे से हुई और सुनीता की देवरानी भी बुआ जी की तारीफ कर रही थी| सुनीता ने कहा क्या बात है? बड़े अच्छे से बुआ जी के साथ खूब मजे किए| हां भाभी जी बुआ जी तो बिल्कुल बदल गई हैं| अब ज्यादा टोका टाकी भी नहीं करती| कभी आएंगे तो आप देख लेना| मुझे तो लगता है भाभी जब छोटी बुआ जी के बहु आ जाएंगी तो वह भी सुधर जाएंगी| दोनों देवरानी जेठानी हंसने लगी| थोड़े दिन बाद ही विमला बुआ जी बहू के साथ अपने मायके आई तो| सुनीता और सब ने देखा की बहू जींस और लॉन्ग कुर्ते में ही आ गई हमें तो सूट पर भी सर पर पल्लू रखवाने वाली बुआ जी की बहू खुद जींस में थी| वैसे तो सुनीता को अच्छा लगा कि बुआ जी बदल रही हैं, लेकिन यह सोचकर बुरा भी लगा कि हमारे टाइम पर कहां थीं|
जब हमारी सासू मां छूट देना चाहती थी तो इन्हें बुआ जी ने कुछ कुछ बोला| घर में कई बार झगड़े भी हो गए| अब अपनी बहू आई तो बदल गई हैं| पूर्वा बुआ जी की बहु मिलनसार थी| और खूब हंसती बोलती थी| अब बुआ जी भी उसकी तारीफ करती हुई नहीं थकती थी| जॉब करती है घर के काम में भी अच्छी है न जाने क्या क्या!!!पहले तो बुआ जी कहती थी कि घर के 4 लोग बदले इसलिए बहू ही खुद को बदल ले तो सही है| और अब बुआ जी बिल्कुल उल्टा कर रही हैं कि हमें भी तो बहू के हिसाब से बदलना होगा| सुनीता और उसकी देवरानी खुश थे| लेकिन यही सोच रहे थे कि अपनी बहू आने पर बदलाव क्यों? और दूसरों की बहू के बीच में फालतू में बोलना क्यों? मतलब ऐसे लोग जब अपनी बहु आये तो बिल्कुल बदल जाते हैं|
आप बताएं क्या कभी आपको ऐसा कुछ देखने को मिला अपने आस-पड़ोस में या आपके साथ ऐसा हुआ?
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशप्रद रचना
Thanks dear
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