"बीबी जी कुछ कपड़ा हो तो गरम देना पहनने के लिए" सड़क पर काम करने वाले एक मजदूर ने कहा |दिल्ली जैसा बड़ा शहर है ...आसपास के लोग इस शहर में अपनी रोजी-रोटी खोजने आते हैं| काफी उम्र के लग रहे हैं बुजुर्ग हैं |और इतने ठंड में जुराब भी नहीं पहनी हुई| दिसंबर की ठंड है| मैंने उसे रोका और बोला अभी एक स्वेटर देती हूं और पूछा इतनी ठंड में अभी तो तुम्हें सैलरी मिली होगी |अभी तो 1 तारीख गई है |और अपने लिए एक स्वेटर ले आना था| अभी बिटिया के लिए जोड़ना है |अरे !!!!अभी तो तुमने एक बिटिया की शादी की है| क्या करें ??? गरीब आदमी है |तीन तीन बेटियां है|भगवान अभी तो एक ही तिलक गया है अच्छे घर में विवाह किया है |बीवी जी .....तीन लाख तुमने दिए थे |हां ,"बीबी जी 1 महीने तक का उनको राशन और लकड़ी और सब कुछ दिया है ,"अरे ऐसा !!!!!भी क्या तुम्हारे पास तो खाने को भी नहीं है |क्या करें देना पड़ता है ???लेकिन जिनके पास ना हो वो क्यों दे????देना तो पड़ेगा लड़की वाले हैं| हमारे बिहार में तो चलता है |यह सब कुछ आपको अजीब लग रहा होगा वह तो चाय पीकर चला गया |मीरा पार्क में आ गई घूमने के लिए अपनी सहेलियों के साथ लेकिन दिमाग में वही सब कुछ चल रहा था | तभी उसकी दोस्त राधा भी आ गई |वह भी बिहार से है मीरा ने पूछा ,"बड़ी जल्दी में हो कहां जा रही हो "कुछ नहीं भाभी मार्केट जा रही हूं |शादी के लिए कपड़े सिलाने हैं अभी बहन ने अपनी बेटी की शादी तय की है| काफी अच्छी शादी कर रहे हैं 20 लाख का तो तिलक दिया है| और गाड़ी भी दे रहे हैं |अरे हां!!!!!मैं भी तुमसे बात करना चाह रही थी |तुम्हारी बहन की बेटी तो काफी पढ़ी-लिखी है |हां भाभी है और जोब भी कर रही है |तो फिर भी उन्हें तिलक देना होता है| हां भाभी क्या करें ???हमारे रिवाज है अरे!!!!गांव देहात में लोग बुरा मान जाते हैं|||| हां अभी मैं भी एक मजदूर से बात कर रही थी ,वह भी यही बोल रहा था| गरीब हो या अमीर भाभी देना पड़ता है |यह रिवाज है|, "लेकिन आजकल के लड़के और लड़कियां मना कर देते होंगे |,"राधा ने कहा .... नहीं भाभी वह भी बोलते हैं जैसे मां पापा करेंगे उन्हें मंजूर होगा| अरे उन्हें !!!!बोलना चाहिए वह पढ़ लिख रहे हैं तो उन्हें इस रीति,रिवाज को खत्म करना चाहिए...बोलना चाहिए| कि मैं शादी नहीं करूंगा अगर यह तिलक आएगा| तो क्यों भाभी????उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया है लिखाया है इस काबिल बनाया है कि आज उसके लिए मुंह मांगी दाम देने के लिए तैयार है| अरे !!!यह तो दूल्हा बिकने वाली बात हुई मतलब जितनी बड़ी पोस्ट इतना बड़ा तिलक |..आईएस और इंजीनियर इतने लोग बिहार से होते हैं तो क्या इस रिवाज को कम नहीं कर सकते ????दहेज तो वैसे भी बंद है लेकिन लेकिन यह तो मुंह मांग कर मोलभाव करके खरीदने वाली बात हुई|..हां तो आजकल की लड़कियां तो मुंह खोलकर बोलती हैं कि इतना लाई हूं चुपचाप नहीं सहूँगी |सही बात है क्या लड़की वाले ने नहीं पढ़ाया है अपनी बेटी को पढ़ाते तो वह भी पूरा है जॉब करवाते हैं फिर भी देना पड़ता है तो क्या फर्क लड़के और लड़की में |,"यही फर्क तो मार रहा है भाभी तभी तो लड़की आज भी बोझ समझी जाती है, अरे यह!!!तो लड़की नहीं तिलक बोझ हुआ |हां !!!उस गरीब को देखो उसके घर में खुद के लिए खाने के लिए नहीं है तो भी तिलक देने के लिए बड़ी सर्दी में मरा जा रहा है......
दोस्तों दहेज लेना एक अभिशाप है लेकिन आज भी किसी न किसी रूप में हमारे समाज को प्रदूषित कर रहा है..
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Sahi Kaha, aise riwaz samaj ke liye abhishaap hain. Kam to hua hai par Puri tarah se khatam nahi...ab bhi Kai gaon mein aise rivaz Hain.
जी बहुत बहुत धन्यवाद🙏 सचमुच ये चीजे बदल जाये तो समाज को लड़की कभी बोझ ना लगे
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