,"अरे! रिचा कहां हो?
,"सुना है तुम्हारी देवरानी बहुत तेज है आते ही अलग रहने लगी, ".. ... आते ही पड़ोस वाली ताई जी बोलने लगी
रिचा उनके बैठने के लिए कुर्सी लेकर आ गई,
.हां भाई आजकल की लड़कियां तो कहां किसी के साथ निभाते हैं इन्हें तो बस अपनी-अपनी पड़ी होती है भरा पूरा परिवार इन्हें कहां पसंद आता है|
नहीं नहीं ऐसा नहीं है बबीता तो बहुत अच्छी नेचर की है हां बस बात यह है कि उसने अपने को भी ऊपर रखा है..... ये नही कि अपनी खुशियों के लिए त्याग करें....
कहते हुए रिचा रसोई में चाय बनाने के लिए चली गई...
चाय बनाकर लेकर आई तो देखा सासु मां और ताई जी दोनों बातें कर रहे हैं|
अरे !!जीजी सभी सब्जियों में मीन मेख निकालने वाला मेरा लड़का है शादी के बाद एकदम बदल गया रिचा और प्रवीण को तो देखो इन्होंने तो कभी ऐसे ना किया और ऋचा ने तो कितना काम भी किया कभी प्रवीन की मजाल है जो कुछ बोला हो रिचा फीकी सी हंसी हंसकर चली गई
और इसे देखो ज्यादा हूर की परी लेकर आया है रोज जब तक घर में रही रोज नाटक दिखाती रही हमेशा जब नवीन के ऑफिस जाने का टाइम होता तो क्लेश करके सो जाती.....खाना भी बना कर नहीं देती है एक दो बार तो रिचा ने बनाया अब मैं भी कहां तक काम करूं ???शादी कर दिया अपनी जिम्मेदारी समझो रिचा को मैंने दो-चार दिन बोला था| उसने नाश्ता बनाया लेकिन फिर कहने लगे मम्मी जी कहीं बबीता इसका गलत मतलब ना ले कि जब मैं अपने पति से गुस्सा हूं तो उसे भाभी खाना बना कर दे रही है, ऐसा सही नहीं लगता एक-दो दिन मैंने बनाया लेकिन इसका तो रोज का था | एक दिन मैंने कहा ," अपनी मैडम को लेकर अलग हो जाओ जो मन आए बनाओ मत बनाओ ,खाओ मत खाओ पुत्र मोह तो मुझे भी त्यागना पड़ेगा नहीं तो मैं भी उनके साथ में इस उमर में परेशान हो रही थी अब जैसे मर्जी आए वैसे रहो |
ताई जी काफी दिनों से बाहर गई हुई थी और काफी समझदार भी थी बोली ,"रिचा हमारे हिसाब से चलती रही तब तो नवीन भी कितनी कमियां निकालता था हमें बाहर तक सुनाई देती थी आवाज
अब रिचा भी आ गई और बोली आजकल तो हमारे गरम रोटी खाने वाले देवर जी ठंडी रोटी खा रहे हैं|
और पता है जिन अच्छी सब्जियों में नुक्स निकालते थे उन्हें खाने के लिए तरस रहे हैं |
कल भी मैंने बबीता से पूछा क्या बनाया ??तो उसने बोला कि वडिया बनाई है वडिया तो हमारे देवर जी को बिल्कुल पसंद नहीं थी बोली अब तो सब कुछ खा लेते हैं......
हां भाई इसीलिए तो देवरानी को देवताओं की रानी कहा गया है देखा तुम्हारे नटखट देवर को सुधार दिया बड़ा नखरे दिखा ता था| अपनी मां को भी एक टांग पर नचाता था तुम तो बिचारी क्या बोलती????मां ने ही कभी डांट नहीं लगाई.....
अब रिचा सोचने लगे काश देवरानी पहले आई होती |
एक तरीके से बबीता सही भी है कि अपनी जिंदगी को खुल कर जी रही है...... नहीं तो देवर के खाने पीने रहने की छोटी-छोटी बातों को लेकर रिचा ने कितनी डांट सुनी है...... और तब तो रिचा के पति भी कुछ नहीं बोलते थे दोनों भाइयों में जमीन आसमान का अंतर है|
आपको कहानी कैसी लगी है आप बताइए कमेंट में कैसी देवरानी पाई है आपने क्या वह भी देवताओं की रानी है...
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