आई बरखा बहार

प्रीत दर्शाने का सबका अपना तरीका होता है

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Varsha Sharma
Varsha Sharma 24 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poems

आई बरखा बहार पड़े

अंगना फुहार

सबसे प प्रीत से छलके तेरा यहां व्यवहार

झिलमिल सितारों से सजी महफिल

जहां वाणी में अमृत घुलता हो और


मिले बाहों का हार , पिया

तुम्हारी याद में होती हूं बेजार

अभी सब और निराशा का है पारावार

तूफान खत्म होगा,

खत्म होगा यह हाहाकार

आई बरखा बहार पड़े अंगना फुहार

सास बहू की मेरे घर में नहीं होती तकरार

बहु डालती है खुलकर

सासु के गले में बाहों का हार

आई बरखा बहार पड़े अंगना फुहार

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