"अरे!! ये तो छोरा है और वह भी पहुंच वाला |
वा तो गरीब की छोरी •साफ बच निकलेगा, "उंगलियां तो लड़की पर ही उठेंगी, "हमेशा से ऐसा ही हुआ है, कुछ ना बदला | चाहे जमान्ना कितना आगे बढ़ जा.।...
आस पड़ोस की औरतें बातें बनाने लगी|
तभी देखा कि एक औरत वकील के कपड़े पहन कर बैठी है|
नहीं .....अब जमाने को बदलना होगा
अब असली गुनहगार को सजा मिलेगी | तभी उंगलिया लड़की पर उठनी बंद होगी वकील प्रिया गुस्से मे उठ खड़ी हुई... कब तक यूं लड़कियां अपनी जान गवाती रहेंगी |
अब किसी दुष्कर्म पर.... कोई निर्भया बेबसी के आँसू नही बहायेगी | अब बदलाव आके रहेगा |
और गांव की औरतें भी बोल रही है,"हां जिब्ब औरत ही औरत का साथ देवें तो जरूर कुछ बदलाव आ जागा| ना तो किसी से उम्मीद ही बेकार है
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