मौसम अपने पूरे शबाब पर था......... दिन में ही अंधेरा हो गया बादल घुमड़ घुमड़ कर आने लगे और ठंडक ऐसी कि बदन को सिहर कर गुजर रही थी !!! और राकेश उदास हो रहा था कि वह हिल स्टेशन पर नहीं जा पाया काम के चलते ..... बाकी अपनी अपनी फैमिली के साथ उसके दोस्त हिल स्टेशन पर गए हैं..., और अभी दोनों की नई-नई शादी हुई है यह समय ही एक साथ गुजारने का होता है चाहे हिल स्टेशन हो या कोई और जगह...... हिमानी को तो यह मौसम बहुत पसंद है|, " उसने राकेश को कहा देखो कितना सुहाना मौसम है| क्या हुआ हम हिल स्टेशन नहीं गए अगर हम दोनों एक साथ हैं और प्यार है तो हम यहां भी हिल स्टेशन का मजा ले सकते हैं, " राकेश प्यार भरी नजरों से हिमानी को देखने लगा की कितनी समझदार है यह. . . .
!जैसे पहाड़ों में मौसम होता है ऐसा ही शहरों का मौसम हो गया |दिल्ली जैसे शहर में पहाड़ी मौसम का मजा आ रहा है| तभी बारिश होने लगी | हिमानी को बचपन के दिन याद आ गए किस तरह बेफिक्र होकर बारिश में नहाने निकल जाते थे | और उसका पसंदीदा गाना बरसात में जब आएगा सावन का महीना .... ...इस पर तो वह हमेशा डांस करती थी |संयुक्त परिवार है निकले भी तो कैसे? ??? पति राकेश उसके मन की बात समझ गए......और उन्होंने कहा कि मुझे मार्केट से सामान लेने जाना है तुम भी साथ चलो, "सासु मां ने कहा "अभी इतनी बारिश हो रही है कौन जाना जरूरी है|",,,, हां मैं तो जा ही रहा हूं|ये जाएगी तो छाता पकड़ लेगी |....तभी ससुर जी ने बोला जाने दो आ जाएंगे थोड़ी देर में ......|आंधी तूफान खत्म हो गया था मौसम बहुत सुहाना हो रहा था| रह-रह कर बारिश हो रही थी दोनों बाइक पर बैठते है एकदम चिपक कर हिमानी को बहुत अच्छा लग रहा था |जैसे उसकी मन की मुराद पूरी हो गई है |बारिश में भीगते हुए........ राकेश ने बाइक पार्क के पास रोक दी पार्क में बैठकर दोनों घंटो भीगते रहे . ...... हिमानी बिल्कुल बच्चे की तरह नजर आ रही थी | एक दूसरे के हाथों में हाथ लेकर हाथों से टपकती हुई बारिश को देख रहे थे|राकेश उसकी मन की इच्छा पूरी करना चाहता था और खुद उसको भी तो कितना अच्छा लग रहा था |घर में है माहौल नहीं मिल पाया तो कोई बात नहीं....यह पार्क उनके प्रेम को परवान चढ़ा रहा था|........ आंखों ही आंखों में एक दूसरे से प्रेम का इजहार कर रहे थे........ ... तभी पीछे से किसी ने पुकारा है एक बार में तो उन्हें सुनाई नहीं दिया..... दोनों जैसे मौसम में खो गए थे| बीवीजी कुछ पैसे हैं तो खाने के लिए दे दो दे दो मैं कुछ खा लूंगी बेटे को दूध दिला दो....छोटे से बच्चे को गोद में लिए हुए खड़ी थी और बारिश में भीग रही थी..... राकेश एकदम से गुस्सा हो गया..... कहीं भी चले आते हो| आप दोनों की जोड़ी बनी रहे मेरी मदद कर दो मेरे पति को बहुत तेज बुखार है में डॉक्टर को दिखाना चाहती हूँ| हिमानी ने पति की ओर देखा वह तो गुस्से में थे तभी हिमानी ने कहा क्या पता इसे सच में हमारे जरूरत हो आप कुछ पैसे दे दो| माफ करना बहन! !!!मैं आपको दुखी कर रही हूं लेकिन मैं बहुत बड़ी मुसीबत में हूं पति को डॉक्टर को नहीं दिखाया तो तबीयत ज्यादा खराब हो जाएगी||| हिमानी को उसकी बात पर भरोसा हो चला....... उसने राकेश को कहा चलो उसके साथ चल कर देखते हैं....... राकेश तो मूड खराब होने के चक्कर में पहले ही गुस्सा था| लेकिन पार्क के पास ही झोंग्गी थी जाकर देखा तो पति बुखार से तप रहा था| राकेश ने कैब बुक कराई...
और उसको डॉक्टर के पास भेजने की पूरी तैयारी की और उसको कुछ पैसे भी दिए . . . . . . और कैब के साथ नजदीकी डॉक्टर के पास पहुंचा| डॉक्टर से दवाई दिला कर और फिर कुछ खाने पीने का सामान दिला कर कैब में बैठाकर फिर से घर भेजा|..... वह औरत दुआएं देती हुई चली गई ..........एक असीम आनंद की प्राप्ति हो रही थी| बारिश भी बंद हो गई थी अब दोनों अपने घर की ओर चले और दोनों को आत्मिक शांति अनुभव हो रही थी उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे किसी की मदद करके वह हिल स्टेशन घूम आए हो......और हिमानी सोच रही थी कि बारिश भी किसी के दुख बढ़ा देती है और किसी के लिए सुख देती है...... और राकेश पर भी बहुत प्यार आ रहा था कि उन्होंने इतनी मदद की .... पीछे से कस के पकड़ लिया राकेश को..... .... और गाना गुनगुना रही थी बरसात में जब आएगा सावन का महीना...... राकेश ने भी उसका हाथ पकड़ लिया|
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